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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सड़कों पर उतरे कुत्ता प्रेमी, बिष्टुपुर में हुआ जोरदार विरोध प्रदर्शन

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश, जिसमें आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम में रखने की बात कही गई है, के खिलाफ रविवार को जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित रिगल मैदान के सामने कुत्ता प्रेमी सड़क पर उतर आए। हाथों में बैनर और पोस्टर लिए प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए – “जहां जनम वहीं रहन – कोई विस्थापन नहीं” और “कुत्ते हमारी बस्ती का हिस्सा हैं, समस्या नहीं”। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि कुत्तों को जबरन हटाने या कहीं और भेजने की कार्रवाई न की जाए।

प्रदर्शन में शामिल कुत्ता प्रेमियों का कहना था कि शहर में रहने वाले कुत्ते इस समाज और बस्ती का हिस्सा हैं। वे केवल इंसानों की सुरक्षा ही नहीं बल्कि भावनाओं का भी हिस्सा हैं। उन्हें विस्थापित करना अमानवीय होगा और इससे उनके जीवन को खतरा पैदा होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आदेश लागू हुआ तो इंसान और जानवर के बीच वर्षों से चला आ रहा सह-अस्तित्व टूट जाएगा।

विरोध करने वालों ने साफ कहा कि कुत्तों का विस्थापन किसी भी हालत में सही समाधान नहीं है। इससे उनकी सुरक्षा और जीवन दोनों खतरे में पड़ेंगे। पशु प्रेमियों और समाजसेवियों ने प्रशासन से अपील की कि समस्या का हल टीकाकरण, नसबंदी और देखभाल केंद्रों की संख्या बढ़ाने से निकाला जाए, न कि जबरन विस्थापन से।

इस मौके पर बड़ी संख्या में पशु अधिकार कार्यकर्ता, समाजसेवी, महिलाएँ, छात्र और युवा शामिल हुए। सभी ने कहा कि कुत्ते समाज का अभिन्न अंग हैं और इन्हें समस्या नहीं बल्कि “सहजीवन का हिस्सा” माना जाना चाहिए।

कुत्ता प्रेमियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन ने आदेश को लागू करते हुए कुत्तों को जबरन हटाने की कार्रवाई की तो वे शांतिपूर्ण आंदोलन को और तेज करेंगे और सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराएंगे।

प्रदर्शन में शामिल पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा – “हम कुत्तों को बेघर होते नहीं देख सकते। वे इस समाज की गलियों, बस्तियों और मोहल्लों में हमारे साथ बड़े हुए हैं। उनके अधिकारों की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।”

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2025 को आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर टीकाकरण और नसबंदी के बाद शेल्टर होम में रखा जाए। अदालत ने यह भी कहा कि एक बार कुत्तों का स्थानांतरण हो जाने के बाद उन्हें दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा। इसके लिए स्थानीय प्रशासन को छह से आठ सप्ताह में कार्रवाई पूरी कर शेल्टर/पाउंड तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

यही आदेश अब अन्य राज्यों और शहरों में लागू होने की संभावना ने पशु प्रेमियों को चिंतित कर दिया है। जमशेदपुर में रिगल मैदान के सामने हुआ यह विरोध उसी चिंता और संवेदना का परिणाम है, जहां कुत्ता प्रेमियों ने सड़कों पर उतरकर साफ संदेश दिया कि “कुत्तों को बेघर करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

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