पूर्वी सिंहभूम में आजीविका संवर्धन योजनाओं की समीक्षा, उपायुक्त ने दी सख्त हिदायत

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर। मंगलवार को पूर्वी सिंहभूम जिले में आजीविका संवर्धन से जुड़ी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठक उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में उपायुक्त ने विभागीय पदाधिकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में संचालित 16 प्रोजेक्ट की रफ्तार बेहद धीमी है। उन्होंने सभी अधिकारियों को फील्ड में जाकर वास्तविक कार्य सुनिश्चित करने का निर्देश दिया और स्पष्ट कहा कि फर्जी रिपोर्टिंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस अवसर पर उप विकास आयुक्त नागेन्द्र पासवान समेत अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।
बोड़ाम प्रखंड में जनजातीय समूहों द्वारा संचालित शहद उत्पादन पर विशेष चर्चा हुई। उपायुक्त ने अगले एक वर्ष में शहद उत्पादन से एक करोड़ रुपये का टर्नओवर हासिल करने का लक्ष्य रखा। उन्होंने 22 अगस्त से शुरू होने वाले चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए उत्पादन बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने पर जोर दिया। इसी तरह अंधारझोर गांव में वाद्य यंत्र निर्माण की गुणवत्ता सुधार हेतु विशेषज्ञों, कलाकारों और उपयोगकर्ताओं के साथ कार्यशाला आयोजित करने और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया।
डुमरिया के लखाईडीह गांव में तेल पेराई मशीन लगाने की योजना पर विचार करते हुए उपायुक्त ने कहा कि इसे सामुदायिक मॉडल पर संचालित किया जाए, ताकि अधिक से अधिक ग्रामीण लाभान्वित हो सकें। वहीं, बहरागोड़ा प्रखंड में मानुषमुड़िया के बंबू क्लस्टर को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए दस दिनों के भीतर विस्तृत प्रस्ताव देने का आदेश दिया। काजू प्रोसेसिंग को बड़े स्तर पर ले जाने और इसमें स्थानीय किसानों व महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने पर भी बल दिया गया।
पटमदा (धाधकीडीह) और पोटका (आसनबनी) में पोल्ट्री व्यवसाय को लेकर उपायुक्त ने जिला पशुपालन पदाधिकारी को निर्देश दिया कि वर्ष के अंत तक पटमदा की महिलाओं की मासिक आय में कम से कम 20 प्रतिशत वृद्धि सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि पोल्ट्री व्यवसाय को लाभकारी बनाना प्रशासन की प्राथमिकता होगी। जेएसएलपीएस प्रतिनिधि ने जानकारी दी कि जमशेदपुर सदर में मशरूम उत्पादन से जुड़े 215 लोगों को एफपीओ में पंजीकृत किया गया है। उपायुक्त ने इस कार्य को मार्केट लिंकज और ब्रांडिंग से जोड़ने पर जोर दिया, ताकि ग्रामीण उत्पादों को बाजार में पहचान मिल सके।
इसके अलावा, बैठक में मुसाबनी प्रखंड के सिल्क प्रोजेक्ट, घाटशिला के वुड कार्विंग, डोकरा आर्ट और पैटकर पेंटिंग पर भी चर्चा हुई। उपायुक्त ने कहा कि स्थानीय कला और उत्पादों को रोजगार से जोड़कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने की ठोस योजना बनाई जाए। घाटशिला में वुड कार्विंग से जुड़े ग्रामीणों को संगठित कर नए आय अवसर सृजित करने और प्रशासन की ओर से हरसंभव सहयोग देने का आश्वासन भी दिया गया।
बैठक में सहकारिता, कृषि, पशुपालन, उद्योग विभाग, जेएसएलपीएस, एलडीएम समेत कई विभागों के पदाधिकारी उपस्थित थे। उपायुक्त ने कहा कि स्थानीय संसाधन, स्थानीय हुनर और स्थानीय लोगों की भागीदारी ही आजीविका संवर्धन की असली ताकत है।