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90 दिन की सजा पर पद छोड़ना होगा, केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किया बिल

न्यूज़ लहर संवाददाता
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने लोकसभा में ऐसा अहम विधेयक पेश किया है, जिसके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री यदि किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर लगातार 90 दिन तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें अपने पद से हटना होगा।

गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को सदन में यह प्रस्ताव रखा। बिल के मुताबिक, ऐसे अपराध जिनमें कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान है, उनमें गिरफ्तारी के बाद यदि कोई जनप्रतिनिधि लगातार 90 दिन तक हिरासत में रहता है तो 91वें दिन से उसका पद स्वतः समाप्त माना जाएगा।

पहले इस प्रावधान को 30 दिन की अवधि के लिए तैयार किया गया था, लेकिन कई पक्षों के सुझाव और कानूनी समीक्षा के बाद इसे बढ़ाकर 90 दिन करने का संशोधन किया गया।

इस नियम को लागू करने के लिए सरकार ने तीन विधेयक सदन में रखे हैं— गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025, 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025। इनके जरिए केंद्र शासित प्रदेशों, राज्यों और जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री के खिलाफ यह प्रावधान लागू होगा।

लोकसभा में कांग्रेस, एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी ने इन विधेयकों का विरोध किया और इन्हें संविधान विरोधी करार दिया। विपक्ष के हंगामे के बीच अमित शाह ने इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की सिफारिश की।

सरकार का तर्क है कि अब तक केवल दोषी ठहराए गए प्रतिनिधियों को ही पद से हटाने का प्रावधान था। गिरफ्तारी के बाद लंबे समय तक पद पर बने रहने की स्थिति पर कोई स्पष्ट कानून नहीं था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी जैसे मामलों ने इस कानूनी खालीपन को उजागर किया, इसलिए इसे भरने के लिए यह पहल की गई है।

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