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टाटा स्टील की विजय-टू आयरन ओर माइंस की खदान बंदी से डेढ़ हज़ार से ज़्यादा मजदूर बेरोजगार एवं चार-पांच हज़ार परिवारों पर आर्थिक संकट—- शंभू पासवान

 

 

टाटा स्टील की विजय-टू आयरन ओर माइंस की लीज समाप्त होने सें माईस बंदी पूरे क्षेत्र लोगों में बेचैनी और डर का स्थिति बन हुआ है।
उक्त बातें पूर्व जिला पार्षद शंभू पासवान ने बताते हुए कहा कि पूरे क्षेत्र में बेचैनी, डर और अनिश्चितता की धुंध फैल चुकी है।पूर्व जिला पार्षद शंभू पासवान ने स्पष्ट किया है कि कंपनी प्रबंधन से लेकर खदान में काम करने वाले मज़दूर, वाहन मालिक, चालक, हेल्पर, वेंडर और आसपास के दुकानदार -सबके चेहरों पर चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। अंदाज़ा है कि सीधे तौर पर डेढ़ हज़ार से ज़्यादा लोगों का रोज़गार इस खदान से जुड़ा हुआ है, जबकि परोक्ष रूप से यह संख्या चार-पांच हज़ार तक पहुँचती है। यह सारंडा और लोहांचल क्षेत्र के लिए यह आर्थिक आपदा साबित हो चुकी है।सूत्र बताते हैं कि खदान के गेट बंद
होने से सैकड़ों ट्रक और डंपर भी हमेशा के लिए खड़े हो गए है। खदान के भीतर और बाहर मिलाकर इस समय करीब 600 छोटे-बड़े वाहन माल ढुलाई में लगे थे। इनमें अधिकांश बैंक लोन पर खरीदे गए हैं।

वाहनों पर काम करने वाले चालक, हेल्पर और मेकैनिक, साथ ही उनसे जुड़े टायर पार्ट्स की दुकानें, पेट्रोल पंप, ढाबे, होटल-सबकी रोज़ी पर ताला लग जाएगा। विजय-टू खदान में टाटा स्टील के साथ दर्जनों वेंडर कंपनियां काम करती हैं। इनमें बीएस माइनिंग के करीब 300, क्रेशर के 150, श्री साईं कंपनी के 150, और अन्य वेंडरों के कुल 800 से ज़्यादा मजदूर शामिल हैं। ये सभी संविदा पर काम करते हैं और उनके लिए यह रोज़गार ही एकमात्र आय का साधन है। मजदूर के अनुसार खदान बंद हुई तो हमें गाँव लौटकर खेती करनी पड़ेगी, लेकिन खेती से पेट नहीं भरता। भले ही टाटा स्टील के स्थाई कर्मचारी अपेक्षाकृत सुरक्षित स्थिति में हैं, लेकिन उन्हें भी चिंता है कि अगर लीज नवीनीकरण में देरी हुई तो उत्पादन में ठहराव आ जाएगा और उसके असर से उनका भविष्य भी प्रभावित होगा। खदान के बंद होने का असर सिर्फ रोजगार तक सीमित नहीं है। वाहनों के लोन की ईएम आई रुकने पर बैंक रिकवरी की कार्रवाई तेज होगी। ग्रामीणों की कर्ज चुकाने की क्षमता खत्म होगी, जिससे पूरे इलाके में वित्तीय असंतुलन बढ़ेगा। छोटे कारोबारी दुकान बंद करने को मजबूर होंगे। सच्चाई यह है खदान बंदी से डेढ़ हज़ार से ज़्यादा मजदूर बेरोजगार,चार-पांच हज़ार परिवारों पर आर्थिक संकट,बैंक लोन पर खरीदे गए सैकड़ों ट्रकों की ज़ब्ती,स्थानीय कारोबार, दुकानें, होटल, ढाबे बंद,जंगल में अवैध कटाई और तस्करी का खतरा,युवा वर्ग में पलायन और अपराध बढ़ने की संभावना है।

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