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पश्चिम सिंहभूम: पिछड़ा वर्ग के अधिकारों को लेकर गरमाया मुद्दा, रामहरि गोप ने विधायकों को दी चेतावनी* 

 

 

चाईबासा: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होते ही पश्चिम सिंहभूम जिले में पिछड़ा वर्ग के अधिकारों को लेकर हलचल तेज हो गई है। गोप, गौड़ आरक्षण आंदोलन समिति के नेतृत्वकर्ता रामहरि गोप ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जिले के सत्तारूढ़ दल के विधायकों पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह सत्र पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की असली परीक्षा है और देखना होगा कि सत्ता पक्ष के विधायक वास्तव में हमदर्द हैं या केवल दिखावा कर रहे हैं।

 

रामहरि गोप ने बताया कि समिति की ओर से मानसून सत्र से पहले पश्चिम सिंहभूम के सभी विधायकों को ज्ञापन सौंपा गया था। इस ज्ञापन में पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा से जुड़े कई गंभीर बिंदुओं को उठाया गया। उनका कहना है कि जिले में निकलने वाली सभी सरकारी वैकेंसी में पिछड़ा वर्ग की भागीदारी लगभग शून्य है। यहां तक कि संविदा ठेकेदार और मनरेगा ऑपरेटर जैसे पदों पर भी उन्हें अवसर नहीं मिल रहा है।

 

उन्होंने आगे कहा कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में पिछड़ा वर्ग के छात्रों को पर्याप्त दाखिला नहीं मिल पा रहा है और जो आरक्षण तथा अन्य योजनाएं उनके लिए बनी हैं, उनका सही क्रियान्वयन नहीं हो रहा है।

 

रामहरि गोप ने साफ शब्दों में कहा कि 28 अगस्त तक चलने वाले इस सत्र में यदि सत्ता पक्ष के विधायक निरल पुरती, जगत माझी, सुखराम उरांव, मंत्री दीपक बिरुवा और सोनाराम सिंकू पिछड़ा वर्ग की मांगों को विधानसभा में नहीं उठाते हैं, तो जनता उन्हें आगामी चुनाव में “नो सीट, नो वोट” का स्पष्ट संदेश देगी।

 

गोप ने यह भी कहा कि अब पिछड़ा समाज जाग चुका है और केवल वादे या आश्वासन से काम नहीं चलेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस बार भी पिछड़ा वर्ग के साथ विश्वासघात हुआ, तो जनता उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने में पीछे नहीं हटेगी।

 

आंदोलन समिति की प्रमुख मांग है कि मानसून सत्र में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के लिए विधेयक तुरंत लाया जाए और सभी स्तरों पर उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

 

रामहरि गोप ने कहा, अब बहानों का नहीं, कार्रवाई का समय है।

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