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एकलव्य स्कूल की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा से वंचित अभ्यर्थियों में आक्रोश, कल करेंगे उग्र आंदोलन

 

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिले के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) में अस्थायी शिक्षक नियुक्ति परीक्षा को लेकर चयन सूची से वंचित स्थानीय अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश है। अभ्यर्थियों ने शनिवार को डीसी कार्यालय की गोपनीय शाखा में उपायुक्त से मिलने की कोशिश की, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद वे कल्याण विभाग पहुंचे, मगर वहां भी समाधान नहीं मिला।

अभ्यर्थियों का आरोप है कि वेबसाइट पर जारी सूची में पारदर्शिता का अभाव है और यह चयन प्रक्रिया पूरी तरह भ्रामक और मनमानी पर आधारित है। नाराज अभ्यर्थियों ने रविवार को उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

यह उठाए सवाल:

अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है कि—

1. चयन सूची में प्रखंड का नाम नहीं दिया गया है, जिससे यह पता नहीं चल रहा कि किस प्रखंड के कितने उम्मीदवार चयनित हुए हैं।

2. उम्र को दरकिनार कर प्रतिशत को प्राथमिकता दी गई है, जबकि आवेदन आमंत्रण सूचना में इसका कोई जिक्र नहीं था।

3. नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया की जानकारी पहले नहीं दी गई थी, लेकिन चयन सूची में इसका प्रयोग किया गया है।

4. पीजी, बीएड, सीटेट और जेटेट को एक ही कॉलम में जोड़कर 10 अंकों का मूल्यांकन किया गया है, जिससे अनुभवी और पुराने अभ्यर्थी बाहर हो गए।

5. अनुभव के अंक जोड़ने का कोई कॉलम नहीं है, जबकि आवेदन में अनुभव मांगा गया था।

6. जिन लोगों ने स्कूल के लिए जमीन दान की है, उन्हें न तो नौकरी में और न ही बच्चों के नामांकन में कोई आरक्षण दिया गया है।

7. एसटी बहुल क्षेत्र होने के बावजूद एसटी उम्मीदवारों की संख्या बहुत कम है, जो चिंता का विषय है।

8. स्थानीय भाषा (हो/संथाली) का भी ध्यान नहीं रखा गया है, जबकि स्कूल में अधिकतर छात्र इन्हीं भाषाओं के हैं।

9. सिर्फ प्रतिशत के आधार पर योग्यता का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता, ज्ञान और अनुभव को भी प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

वंचित अभ्यर्थियों की पीड़ा:

परीक्षा से वंचित कई अभ्यर्थियों ने अपनी बात रखी।
शशि गुप्ता ने कहा, “परीक्षा की न्यूनतम योग्यता पूरी करने के बावजूद हमें बाहर कर देना अधिकार का हनन है।”
शांति सिंह कुंटिया ने कहा, “बीएड या टीचर्स ट्रेनिंग को महत्व नहीं दिया गया, जबकि सामान्य पीजी वाले शामिल हैं।”
बनमाली तामसोय ने चयन प्रक्रिया को पूरी तरह गैर-पारदर्शी बताया।
दिव्या शर्मा ने कहा, “अनुभव का कॉलम आवेदन में था, लेकिन मूल्यांकन में शामिल नहीं किया गया।”
चंचल कालुन्डिया ने पूछा, “अगर प्रतिशत ही मानक था तो पहले से यह स्पष्ट क्यों नहीं किया गया?”
प्रियंका कुकंल, जो दिव्यांग हैं, ने कहा कि उनके साथ बड़ा अन्याय हुआ है, क्योंकि दिव्यांगों के लिए आरक्षण भी सूची में नहीं दिखा।

आंदोलन की चेतावनी:

इस पूरे मामले को लेकर अभ्यर्थियों ने प्रशासन से पुनर्विचार की मांग की है और कहा है कि यदि सभी पात्र उम्मीदवारों को परीक्षा में शामिल होने का अवसर नहीं दिया गया तो वे कल (सोमवार) को उग्र आंदोलन करेंगे।

इस विरोध प्रदर्शन में प्रधान तामसोय, चंचल कालुन्डिया, शांति कुंटिया, मस्कल देवगम, सुषमा तामसोय, गोपाल बोदरा समेत कई अभ्यर्थी शामिल थे।

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