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अमेरिकी सलाहकार की टिप्पणी पर भड़के डॉ. पवन पांडेय, ब्राह्मण समाज और भारतीय संस्कृति को बताया राष्ट्रीय एकता की धुरी

 

जमशेदपुर। एनसीपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता एवं ब्राह्मण शक्ति संघ के केन्द्रीय अध्यक्ष डॉ. पवन पांडेय ने अमेरिकी राष्ट्रपति के व्हाइट हाउस स्थित आवासीय कार्यालय के व्यापार मामले के सलाहकार पीटर नवारो की कथित टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। डॉ. पांडेय ने कहा कि भारत से तेल के मुद्दे पर मात खाने से परेशान होकर पीटर नवारो ने अंग्रेजों का वही पुराना और घिसा-पिटा फार्मूला अपनाने की कोशिश की है, जिसके बल पर अंग्रेजों ने करीब 200 वर्षों तक भारत पर शासन किया और भारतीयों को गुलाम बनाकर रखा।

उन्होंने कहा कि जिस तरह ब्रिटिश हुकूमत ने भारतीय समाज को जातियों में बांटकर अपने फायदे साधे, उसी तरह आज अमेरिकी सलाहकार नवारो भी भारतीय समाज को विभाजित करने की साजिश कर रहे हैं। खासकर उन्होंने ब्राह्मण समाज को निशाना बनाकर विभाजन की राजनीति को हवा देने का प्रयास किया है। डॉ. पांडेय ने कहा कि ऐसा करने से पहले नवारो को भारत की संस्कृति और सनातन परंपरा का गहन अध्ययन करना चाहिए।

ब्राह्मण समाज के योगदान को रेखांकित करते हुए डॉ. पांडेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ब्राह्मण केवल एक जाति नहीं बल्कि सनातन धर्म के संस्कार और मूल्यों का प्रतीक है। ब्राह्मण समाज ने हमेशा राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ब्राह्मण कभी भी अपने निजी स्वार्थ को राष्ट्रीय हितों से ऊपर नहीं रखता। यह अंतर भारतीय संस्कृति और पश्चिमी मानसिकता में स्पष्ट रूप से झलकता है।

डॉ. पांडेय ने कहा कि नवारो को यह नहीं भूलना चाहिए कि अंग्रेजों के विभाजनकारी फार्मूले को भारतीयों ने आपसी एकता और भाईचारे से पराजित किया था। यही एकजुटता 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर करने का कारण बनी और इसी एकता की ताकत ने देश को आजादी दिलाई। उन्होंने कहा कि भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना इतनी मजबूत है कि कोई भी बाहरी शक्ति उसे तोड़ नहीं सकती।

उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि ऐसे पद पर आसीन व्यक्ति को मानसिक संतुलन बनाए रखते हुए बयानबाजी करनी चाहिए। इस प्रकार की टिप्पणी न केवल भारतीय समाज का अपमान है, बल्कि यह अमेरिकी कूटनीति और सभ्यता की भी साख को प्रभावित करता है। उन्होंने नवारो को सलाह दी कि वे भारतीय समाज और उसकी संस्कृति को बांटने के बजाय उससे सीखने का प्रयास करें।

डॉ. पांडेय ने अंत में स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि भारत की एकता और अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। भारतीय समाज अपनी सांस्कृतिक धरोहर और एकजुटता के बल पर हर षड्यंत्र का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।

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