चाईबासा में आदिवासी समुदाय ने धूमधाम से मनाया करमा पूजा पर्व भाई-बहन के स्नेह, सद्भाव और प्रकृति के सम्मान का प्रतीक है करमा पर्व
चाईबासा: आदिवासी संस्कृति का महत्वपूर्ण प्राकृतिक पर्व करमा पूजा बुधवार, 3 सितंबर को चाईबासा के सात अखाड़ा और आसपास के गांवों में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ श्रद्धा व उत्साह से मनाया गया। यह पर्व भादो महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाया जाता है और इसका महत्व भाई-बहन के रिश्ते को सशक्त करने, फसल की कामना और सामाजिक एकता के रूप में माना जाता है।
पूजा स्थल पर करमा और धरमा देवताओं की आराधना की गई। ग्रामीणों ने करम वृक्ष की डाली को जंगल से लाकर घर के आंगन और अखाड़ा के बीच स्थापित किया, जिसे कुल्हाड़ी से एक ही बार में काटा गया। इस दौरान यह विशेष ध्यान रखा गया कि डाली जमीन पर न गिरे। इसके बाद वृक्ष की विधिवत पूजा की गई।
करमा पूजा के दौरान चना, उड़द, जौ, गेहूं, मक्का, ज्वार, कोदो के अंकुर, खीरा और गुड़ आदि का प्रसाद चढ़ाया गया। पूजा में करमा और धरमा की कथा सुनी गई। बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करते हुए व्रत रखा।
महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में सज-धजकर पूजा में भाग लिया। उन्होंने अपने पैरों में आलता लगाया, रंग-बिरंगे वस्त्र और आभूषण धारण किए। खीरे को पुत्र का प्रतीक मानते हुए उसे करम देव को समर्पित किया गया। पूजा के दौरान खीरे को टुकड़ों में काटकर करम डाली में पिरोया गया।
झूमे ढोल-मांदर की थाप पर
पूरे दिन आदिवासी समुदाय के लोग ढोल और मांदर की थाप पर नाचते-गाते नजर आए। इस अवसर पर युवाओं और बुजुर्गों ने सामूहिक रूप से लोकगीतों के माध्यम से अपनी संस्कृति को जीवंत किया।
पर्व का विसर्जन गुरुवार, 4 सितंबर को किया जाएगा। इस दौरान करम वृक्ष की डाली को सम्मानपूर्वक जल में प्रवाहित किया जाएगा।
इस अवसर पर बान टोला के मुखिया लालू कुजूर, चमरू लकड़ा, दुर्गा कुजूर, फागू खलखो, मंगरू टोप्पो, राजु तिग्गा, सीताराम मुंडा, खुदिया कुजूर, शंभू टोप्पो, राजेंद्र कच्छप, कृष्णा तिग्गा, अविनाश कुजूर, जगरनाथ लकड़ा, निशांत मिंज, दीपक टोप्पो, नकुल टोप्पो, बुधराम कोया, संगम तिर्की, रूपेश कुजूर, मंत्री टोप्पो समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।