गुआ गोलीकांड पर मंजीत कोड़ा का कांग्रेस पर बड़ा हमला, बताया आदिवासी हितैषी होने का ‘ढोंग’

जगन्नाथपुर: पूर्व भाजपा नेता मंजीत कोड़ा ने गुआ शहीद दिवस के मौके पर कांग्रेस नेताओं पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने प्रेस बयान जारी कर कहा कि कांग्रेस के नेता गुआ शहीद स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि देकर आदिवासी हितैषी होने का ‘नाटक’ कर रहे हैं, जो शहीद आंदोलनकारियों का सीधा अपमान है।
मंजीत कोड़ा ने कहा कि 8 सितंबर 1980 को गुआ में जो गोलीकांड हुआ, वह झारखंड आंदोलन के इतिहास का एक काला अध्याय है। उस समय बिहार में कांग्रेस के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा की सरकार थी और केंद्र में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। कोड़ा के अनुसार, उसी सरकार के आदेश पर बीएमपी (बिहार मिलिट्री पुलिस) के जवानों ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं। कई निर्दोष आदिवासी मारे गए और दर्जनों घायल हुए।
उन्होंने कहा कि यह भारत की पहली घटना थी जब अस्पताल में इलाज करा रहे आंदोलनकारियों पर भी गोली चलाई गई। आंदोलन की मांग थी कि जंगल कटाई के नाम पर झूठे मुकदमों में जेल भेजे गए आदिवासियों को रिहा किया जाए और खदानों से निकलने वाले जहरीले लाल पानी को खेतों, नालों और नदियों में छोड़ने पर रोक लगाई जाए।
पूर्व भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने न केवल आदिवासियों की आवाज दबाई, बल्कि उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि जगन्नाथ मिश्रा की सरकार ने तीर-धनुष पर प्रतिबंध लगाया था, जो न केवल आदिवासियों का पारंपरिक हथियार है, बल्कि उनकी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान भी है।
कोड़ा ने कहा कि आज वही कांग्रेस खुद को आदिवासी हितैषी बताने का ढोंग कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि आज भी खदान क्षेत्रों के लोग लाल पानी पीने को मजबूर हैं और कांग्रेस झारखंड सरकार का हिस्सा है।