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सात साल बाद मिला न्याय: कृष्णा दास हत्याकांड में दो दोषियों को उम्रकैद

 

सरायकेला। सात साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कृष्णा दास हत्याकांड मामले में न्याय मिला है। एडीजे-1 चौधरी एहसान मोइज की अदालत ने आदित्यपुर दिंदली बस्ती निवासी कृष्णा दास की हत्या के दोषी मनोज दास और मनोज मंडल उर्फ बोस्ता मंडल को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने दोनों पर 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

पीड़िता की बहन दुर्गा दास ने अदालत के फैसले को अपने संघर्ष और न्यायपालिका पर विश्वास की जीत बताया। उन्होंने कहा कि वर्षों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने और उम्मीदें टूटने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। अब भाई के हत्यारों को सजा मिलने से मन को सुकून मिला है।

क्या था मामला

9 दिसंबर 2018 को कृष्णा दास का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद साक्ष्य छिपाने के लिए शव को उड़ीसा के रायरंगपुर ले जाकर जला दिया गया। पुलिस ने अधजला शव बरामद किया और 11 दिसंबर 2018 को मृतक की बहन ने आदित्यपुर थाना में मामला दर्ज कराया। करीब सात साल चली सुनवाई में वादी पक्ष ने 11 और बचाव पक्ष ने चार गवाह पेश किए। सभी साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए धारा 302, 364/34 और 201/34 आईपीसी के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई।

धीमी न्याय प्रक्रिया पर सवाल

यह मामला एक बार फिर न्यायिक प्रणाली की धीमी गति को उजागर करता है। 2018 में दर्ज हुआ यह मुकदमा 2025 में जाकर पूरा हुआ। इस दौरान पीड़ित परिवार ने मानसिक, सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया। बावजूद इसके, अदालत का यह फैसला समाज को यह संदेश देता है कि अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो, कानून के शिकंजे से बचना असंभव है।

अभियोजन पक्ष की ओर से अपार लोक अभियोजक कपिल देव सामड ने बताया कि अदालत ने वादिनी को मुआवजा दिलाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार को निर्देश भी दिए हैं।

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