कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर का केंद्र सरकार पर निशाना – “मोदी सरकार ने आठ साल बाद देखी आम जनता की तकलीफ”

चाईबासा: वस्तु एवं सेवा कर (GST) के टैक्स स्लैब में हाल ही में किए गए बदलाव पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। झारखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रदेश समन्वय समिति के सदस्य राजेश ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने आठ वर्षों बाद आम लोगों की समस्याएं देखनी शुरू की हैं।
शनिवार को चाईबासा स्थित परिसदन भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए राजेश ठाकुर ने कहा कि दूध, दही, किताबें, पेंसिल, कृषि उपकरण, जीवन रक्षक दवाइयों, स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसी आवश्यक चीजों पर जीएसटी लगाकर कमाई करने वाली सरकार को अब जाकर होश आया है।
वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चाईबासा एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे एक मामले की सुनवाई के सिलसिले में आए थे। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस जिला प्रवक्ता त्रिशानु राय भी उपस्थित थे।
राजेश ठाकुर ने कहा कि 2016 में जब सरकार जीएसटी नीति लेकर आई थी, तब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इसका विरोध करते हुए इसके आम उपभोक्ताओं, किसानों और छात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव का पूरा विश्लेषण सरकार के समक्ष रखा था। लेकिन मोदी सरकार ने तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए मनमाना स्लैब लागू कर दिया, जिससे जनता पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में जातिगत जनगणना और जीएसटी स्लैब में संशोधन जैसे फैसले लेकर यह साबित कर दिया कि कांग्रेस की नीतियाँ ही जनता के हित में हैं। वहीं भाजपा सरकार की नीतियाँ जनविरोधी साबित हुई हैं।
राजेश ठाकुर ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जीएसटी को व्यवहारिक बताने के लिए सरकार ने हर संभव कुतर्क का सहारा लिया, लेकिन अब स्वयं अपने ही फैसले से पीछे हटना पड़ा है। यह इस बात का संकेत है कि देश की आर्थिक नीतियों की बागडोर अनुभवहीन और अयोग्य लोगों के हाथों में है।
उन्होंने कहा कि किसान और मध्यमवर्गीय करदाता देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन उन्हीं पर सबसे अधिक टैक्स का बोझ डाला गया। इसके कारण आम घरों का बजट गड़बड़ा गया और कृषि क्षेत्र में भी उत्पादन लागत बढ़ती चली गई।
राजेश ठाकुर ने आगे कहा कि कांग्रेस ने हमेशा सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाई है और सरकार की जनविरोधी नीतियों का तथ्यों के साथ विरोध किया है। उन्होंने मांग की कि संशोधित जीएसटी नीति के कारण विनिर्माता राज्यों को होने वाली राजस्व क्षति का आकलन कर उसकी भरपाई की जाए, ताकि राज्यों का आर्थिक संतुलन बना रहे और क्षेत्रीय विकास में असंतुलन की स्थिति न पैदा हो।