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गुवा गोलीकांड की 45वीं बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि, अर्जुन मुंडा बोले— आंदोलन की आत्मा हैं ये शहादतें

 

चाईबासा: झारखंड के इतिहास में 8 सितंबर एक ऐसा दिन है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। आज गुवा गोलीकांड की 45वीं बरसी पर पश्चिमी सिंहभूम के गुवा बाजार स्थित शहीद स्थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। यह वही स्थान है, जहां 8 सितंबर 1980 को झारखंड अलग राज्य आंदोलन के दौरान 24 से 25 आदिवासी आंदोलनकारियों ने अपनी जान कुर्बान की थी।

उस दिन हजारों की संख्या में आदिवासी ग्रामीण वन विभाग और इस्को प्रबंधन के खिलाफ पारंपरिक हथियारों के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी मांगें थीं, फर्जी मुकदमों में बंद ग्रामीणों की रिहाई और इस्को खदानों से निकलने वाले लाल पानी से हो रहे खेतों और नदियों के प्रदूषण को रोकना। जब प्रदर्शन उग्र हो गया, तो पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही कि पुलिस ने गुवा अस्पताल में घुसकर भी गोलियां चलाईं, जो अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस कानून का उल्लंघन माना गया।

इस हिंसा में कई निर्दोष आंदोलनकारी मारे गए, साथ ही पुलिस के भी कुछ जवानों की जान गई।

इस ऐतिहासिक घटना की स्मृति में बने शहीद स्मारक पर आज पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बड़कुंवर गागराई, पूर्व सांसद गीता कोड़ा, पूर्व विधायक शशि भूषण सामड सहित भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।

अर्जुन मुंडा ने कहा, “जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए पीढ़ियों ने संघर्ष किया और अंततः साल 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ। गुवा गोलीकांड केवल एक घटना नहीं, बल्कि आंदोलन की आत्मा है।”

शहीदों की स्मृति में दो मिनट का मौन भी रखा गया।
झारखंड की जनता आज भी इन बलिदानों को गर्व के साथ याद करती है।

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