जनजातीय बच्चों के लिए उनकी मातृभाषा में मिलेगी पढ़ाई की सुविधा, जी-गुरुजी ऐप पर उपलब्ध ऑडियो सामग्री

चाईबासा: झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने जनजातीय बच्चों की शिक्षा को सुलभ और प्रभावी बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। परिषद की ओर से राज्य के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले मुंडारी, कुड़ुख, खड़िया और हो जनजातीय समुदायों के बच्चों के लिए पुस्तकों की विषयवस्तु को उनकी मातृभाषा में अनुवाद कर ऑडियो के रूप में उपलब्ध कराया गया है।
अब ये बच्चे कक्षा 3 से 5 तक की सामाजिक विज्ञान और कक्षा 1 से 5 तक की गणित की पुस्तकों की सामग्री को हिंदी और अपनी-अपनी मातृभाषा में ऑडियो फॉर्मेट में सुन सकते हैं। ये ऑडियो सामग्री ‘जी-गुरुजी ऐप’ के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है, जिसे झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद, रांची ने जारी किया है।
इस ऐप के माध्यम से बच्चों के अभिभावक भी पढ़ाई में मदद कर सकते हैं। ऐप में दिए गए ऑडियो का प्रयोग करके बच्चे अपने पाठों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे, खासकर वे बच्चे जिनकी पहली भाषा हिंदी नहीं है।
इस परियोजना को सफल बनाने में झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (जेएसईआरटी) की लैब और सरकार की सहयोगी आईटी कंपनियों की अहम भूमिका रही है।
हो भाषा के ऑडियो और वीडियो को अंतिम रूप देने में पश्चिमी सिंहभूम जिले के बहुभाषी शिक्षकों – कृष्णा देवगम, मंगल सिंह मुंडा, विद्यासागर लागुरी, हरीश लागुरी और राजेश सिंकू ने अहम योगदान दिया।
कुड़ुख भाषा के लिए विजय रंजीत एक्का, राजेन्द्र लकड़ा, बीना पन्ना, दयावंती मिंज, अनीमा रानी टोप्पो, और लोधेर उरांव की सहभागिता रही।
मुंडारी भाषा में चंद्रावती सारु, निबय हासा, सैमसन तानी, सिसिलिया तोपनो और चंबर सिंह मुंडा का सहयोग रहा।
खड़िया भाषा में सुमन बिलुंग, रश्मि रेणुका टोप्पो, सिल्वेस्टर केरकेट्टा, कार्नेलियुस डुंगडुंग, किरण कुल्लू और इन्नोसेंट बा ने विशेष योगदान दिया।
यह पहल न केवल भाषा के माध्यम से बच्चों की समझ को बेहतर बनाएगी, बल्कि मातृभाषा को भी सशक्त करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।