सारंडा वासियों के विस्थापन के विरोध में बैठक
News Lahar Reporter
गुवा
शनिवार को सागजुड़ी में सारंडा वासियों की बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता भारत आदिवासी पार्टी पश्चिम सिंहभूम के जिलाध्यक्ष सुशील बारला ने की।
बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार स्व. देवेन्द्र माझी द्वारा 1980 से 2005 के बीच जीविकोपार्जन के लिए बसाए गए 40 से अधिक वनग्रामों को अभ्यारण्य क्षेत्र से अलग रखने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि भारत आदिवासी पार्टी की मांग है कि 1980–2005 के बीच बसे वनग्रामों के लोगों को किसी भी स्थिति में विस्थापित न किया जाए। क्योंकि सारंडा वन क्षेत्र के 14 वनग्रामों के 394 परिवारों को वनाधिकार अधिनियम 2005 के तहत पहले ही वनाधिकार पट्टा दिया जा चुका है और कई अन्य गांव प्रक्रियाधीन हैं।श्री बारला ने कहा कि अभ्यारण्य की अधिसूचना जारी करने से पूर्व राज्य सरकार को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम सारंडा वासियों की हर लड़ाई में साथ थे और आगे भी रहेंगे। विस्थापन रहित विकास ही हमारा उद्देश्य है। उन्होंने यह भी कहा कि सेल की खदानों में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिलना चिंता का विषय है। लाल धूल और दूषित जल से प्रभावित होने के बावजूद बाहरी लोगों को नौकरी देना अन्याय है। उन्होंने सारंडा वासियों से एकजुट होकर जल, जंगल, जमीन की रक्षा हेतु बौद्धिक संघर्ष करने की अपील की।
बैठक को शान्तिएल काड़यबुरू, नरेंद्र केरकेट्टा, पावल तोपनो, बिरसा जोजो, विल्सन बहँदा, सुलेमान जोजो, दिलबर गुड़िया, सामु जोजो, जीवन गोडसोरा, बेनेडिक्ट लुगुन और सुरज होनहगा ने भी संबोधित किया।













