छठ महापर्व मे खरना या लोहाण्डा का महत्व
 
                                                आनंद शर्मा
ज्योतिष, वास्तु, तंत्र विशेषज्ञ
9835702489
देश के जाने माने ज्योतिष एवं अध्यात्म के जानकर श्री
आनंद शर्मा जी के अनुसार खरना शब्द का अर्थ सम्पूर्ण शुद्धि करण से हैँ व्रत शुरू करने से पहले रोटी और गुड़ से बने
खीर का सेवन किया जाता हैँ जो 36 घंटे निर्जला व्रत के लिए व्रत धारी को तैयार करता हैँ
शरीर मन और आत्मा की सम्पूर्ण शुद्धि के बाद यह पर्व शुरू किया जाता हैँ
इसमें गेहूं से बने रोटी और गुड़ से बने खीर का बड़ा महत्व हैँ और पहले इसे बनाने मे लोहे का चूल्हा, बर्तन का प्रयोग किया जाता था इसलिए इसको लोहाण्डा भी कहा जाता हैँ
लोहे के चूल्हा मे लोहे के बर्तन को मिट्टी से लीप कर फिर इसमें शुद्ध प्रसाद बनाया जाता हैँ. इसका स्वाद अद्भुत और कभी नहीं भूलने वाला अविष्मरणीय होता हैँ
व्रत धारी अपने परिवार और मित्रो रिश्तेदारों के साथ इसका सेवन करके तृप्त होकर व्रत को आगे करते हैँ


 
							 
							










