चांडिल छठ घाट हादसा: नदी से निकाला गया तीसरा शव, प्रशासन ने कहा- अब नहीं चलेगी चेतावनी की अनदेखी
News Lahar Reporter
सरायकेला : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल में सोमवार शाम छठ पर्व के दौरान स्वर्णरेखा नदी के शहरबेड़ा छठ घाट पर हुई दर्दनाक दुर्घटना ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया। संध्या अर्घ्य के दौरान एक नाबालिग समेत तीन लोगों की डूबने से मौत हो गई। घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि श्रद्धा और सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। मंगलवार की शाम तक तीसरा शव भी निकाल लिया गया है। इस तरह अब तक तीनों शव निकाल लिए गए हैं।
लापरवाही से हुई अनहोनी
जिला प्रशासन ने छठ पर्व को लेकर पहले से ही एहतियाती कदम उठाए थे। उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक मुकेश लुनायत ने घाटों का निरीक्षण किया था और खतरनाक इलाकों में ‘डेंजर जोन’ के बोर्ड लगाए गए थे। इसके अलावा माइकिंग कर लोगों से बार-बार अपील की गई थी कि वे गहरे पानी में न उतरें।
पुलिस बल, गोताखोरों और स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती के बावजूद कुछ श्रद्धालुओं ने चेतावनी की अनदेखी की और निर्धारित सीमा से आगे चले गए, जिससे यह हादसा हुआ।
प्रशासन की तत्परता से निकले शव
हादसे के बाद जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम तुरंत हरकत में आ गई। सोमवार शाम स्थानीय गोताखोरों ने एक शव को बाहर निकाल लिया था, जबकि मंगलवार सुबह एनडीआरएफ की टीम ने दूसरा शव बरामद किया। तीसरे शव की तलाश में काफी दिक्कतें आईं, क्योंकि नदी में तेज़ धारा और गहराई थी।
कई घंटे की मशक्कत के बाद स्थानीय गोताखोरों की सूझबूझ से प्रतीक यादव का शव भी बरामद कर लिया गया। तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। इस दौरान अनुमंडल पदाधिकारी विकास राय और थाना प्रभारी दिलशन बिरुआ समेत पूरा प्रशासनिक अमला मौके पर मौजूद रहा।
मृतकों की पहचान और परिजनों में मातम
हादसे में जान गंवाने वालों की पहचान आदित्यपुर के संजय यादव, प्रतीक यादव और डिमना के आर्यन यादव के रूप में हुई है। तीनों की असमय मौत से उनके परिवारों में कोहराम मच गया और इलाके में शोक की लहर फैल गई।
प्रशासन का सख्त रुख
घटना के बाद उपायुक्त ने सभी घाटों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की और निर्देश दिए कि आगे से लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासन ने कहा है कि अब केवल चेतावनी देना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन का कहना है कि आस्था का सम्मान करते हुए लोगों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। आने वाले समय में घाटों पर स्थायी सुरक्षा घेराबंदी, अतिरिक्त रोशनी, प्रशिक्षित गोताखोरों की स्थायी टीम और जन-जागरूकता अभियान को और मजबूत किया जाएगा।
शहरबेड़ा छठ घाट की यह घटना पूरे झारखंड के लिए एक सीख बन गई है कि आस्था के साथ-साथ सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है। प्रशासन की मुस्तैदी ने राहत तो दी, लेकिन श्रद्धालुओं की लापरवाही ने तीन परिवारों से उनके अपने छीन लिए।














