शहीद देवेंद्र मांझी की जीवनी एवं आंदोलन पर आधारित फिल्म *डीएम एक योद्धा* का फर्स्ट लुक टीजर जारी
प्रभात खबर के संपादक संजय मिश्रा ने चेंबर भवन में जारी किया फर्स्ट लुक
झारखंड के आंदोलनकारियों का दबा हुआ इतिहास उजागर करने की जरूरत- संजय मिश्रा
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: झारखण्ड के अमर शहीद देवेंद्र मांझी के जीवन चरित्र पर आधारित फिल्म डीएम एक योद्धा का फर्स्ट लुक टीजर शनिवार को सिंहभूम चैंबर भवन जमशेदपुर में रिलीज किया गया। प्रभात खबर के संपादक संजय मिश्रा ने फर्स्ट लुक टीजर जारी किया। दिसंबर 2020 में देवेंद्र मांझी की जीवनी पर फिल्म का निर्माण प्रारंभ किया गया। देवेंद्र माझी झारखण्ड आंदोलन के जनको में से एक थे। इन्होंने जल जंगल ज़मीन के साथ 1980 के दशक में बीड़ी मज़दूरों के हक के लिये व्यापक आंदोलन चलाया था। 14 अक्टूबर 1995 को दशहरा के दिन सत्ता लोलुप ठीकेदार और महाजनों ने गोइलकेरा में देवेंद्र मांझी की निर्मम हत्या कर दी थी! हालांकि संक्रमण काल के दौरान इसके निर्माण में बाधा आई और फ़िल्म निर्माण का कार्य रुक गया अब चूंकि सोशल मीडिया पर इस फ़िल्म का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ था अतः बहुतेरे लोगो ने विषय को अच्छा समझ कर अपने निहित स्वार्थों के चलते वृतचित्र फ़िल्म आदि का निर्माण प्रारंभ कर दिया। बावजूद इसके देवेंद्र माझी पर बनने वाली पहली फीचर फ़िल्म *डीएम एक योद्धा* का निर्माण कार्य जारी है और यह फ़िल्म दिसम्बर माह तक पूर्ण हो जाएगी। इस फ़िल्म में शत प्रतिशत स्थानीय कलाकारों को अवसर दिया गया है, फ़िल्म के लेखक निर्देशक और गीतकार जितेन्द्र ज्योतिषी हैं। श्री ज्योतिषी ने सन 1831-32 के अमर शहीद सेरेंगसिया के शेरदिल पोटो हो के जीवन पर आधारित पुरुस्कृत फिल्म आदि विद्रोही का निर्माण निर्देशन भी किया । यह फ़िल्म काफी लोक प्रिय रही है, वर्तमान में भारतीय सेंसर बोर्ड से जुड़े अशोक शरण ने शिमला फ़िल्म फेस्टिवल के लिये भी आदि विद्रोही की मांग की है, साथ ही डीएम एक योद्धा का प्रदर्शन भी होने वाले विभिन्न फ़िल्म फेस्टीवल के दौरान किया जायेगा। इस फ़िल्म को फिल्माया है राज्य के मशहूर छाया कार सोलमेंन दास ने।फ़िल्म के सम्बंध में फ़िल्म के लेखक निर्देशक जितेंद्र ज्योतिषी का कहना है कि चाईबासा में फ़िल्म निर्माण टेढ़ी खीर है,यहाँ एक विशेष ग्रुप सक्रीय है,जैसे ही आप फ़िल्म निर्माण प्रारम्भ करेगे वैसे ही राजनीति से प्रेरित यह ग्रुप आप ही कि फ़िल्म से मिलते जुलते विषय पर फ़िल्म निर्माण प्रारम्भ कर देंगे फ़िल्म आदि विद्रोही से लेकर डीएम एक योद्धा तक कई ऐसे अनुभव हुये है,यह ग्रुप फ़िल्म या वृतचित्र नही बनाता है बल्कि बोरो प्लेयर के जरिये गेम खेलता..जो लोग पलायन कर गए वर्षो तक सिंहभूम का मुंह नही देखा ऐसे लोगो को स्थानीय निर्माता निर्देशक के कार्य मे बाधा पहुचाने के लिये विशेष तौर पर लगाया जाता है,ऐसी तमाम झंझावतों के बावजूद हम डी एम एक योद्धा जैसी फ़िल्म संशाधनों के अभाव में बना पाते है,और बना रहे है..कई राजनीतिक बाधा भी आती है ऐसी बायोपिक फिल्मे बनाने में ऐसी अवस्था फ़िल्म निर्माताओ के लिये अच्छी नही है,सरकार को स्थानीय फ़िल्म निर्माताओ के हित मे फ़ैसला लेते हुये..कोई ठोस कदम उठाना चाहिये।