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चेतना मार्च के साथ मानगो में शहीदी सप्ताह का हुआ आगाज, 27 दिसम्बर को होगा समापन*     *छोटे साहिबजादों के सम्मान में उत्सव कार्यक्रमों से परहेज करें सिख: भगवान सिंह*

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित जमशेदपुर में चारों साहिबजादों की शहीदी को समर्पित मानगो गुरुद्वारा साहिब में शहीदी सप्ताह का आगाज गुरुवार को चेतना मार्च निकाल कर किया गया। पोह माह की कड़कड़ाती ठंढ में अहले सुबह बच्चे, युवा, महिला, पुरुष और क्या बुजुर्ग सहित समाज के हर वर्ग के लोगों ने चेतना मार्च में शामिल होकर साहिबजादों की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित कर गर्व महसूस किया।

गुरुद्वारा सिंह सभा, मानगो के तत्वाधान में शहीदी सप्ताह 27 दिसंबर तक चलेगा जहाँ विभिन्न प्रकार के सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।

इस मौके पर सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के प्रधान सरदार भगवान सिंह ने समाज से विनम्र अपील करते हुए कहा कि कोई भी सिख परिवार शहीदी सप्ताह के दौरान उत्सव कार्यक्रम आयोजित न करें। उनका यही त्याग साहिबजादों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

बहरहाल, गुरुवार को चेतना मार्च मानगो गुरुद्वारा साहिब से निकलकर खंडा चौक, डिमना रोड, संकोसाई होता हुआ वापस गुरुद्वारा साहिब में समाप्त हुआ। गुरु ग्रन्थ साहिब का स्वरुप के बिना निकाली गयी चेतना मार्च को प्रभात फेरी का रूप दिया गया था जहाँ गतका टीम, पंज प्यारे (महिला और पुरुष) के अलावा सिख संगत सबद-कीर्तन के रूप में वाहेगुरु के गुणगान करती रही।

इस अवसर पर सिख समाज के कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी हाजरी भरी जिनमे विशेषरूप से सीजीपीसी के सरदार भगवान सिंह, चेयरमैन सरदार शैलेन्द्र सिंह व गुरमीत सिंह तोते, महासचिव अमरजीत सिंह व गुरचरण सिंह बिल्ला, उपाध्यक्ष चंचल सिंह व कुलदीप सिंह शेरगिल, सुखदेव सिंह बिट्टू, कुलविंदर सिंह, सुरेंदर सिंह छिंदे, कुलविंदर सिंह पन्नू, हरजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह जमशेदपुरी और नौजवान सभा के प्रधान अमरीक सिंह चेतना मार्च में शामिल हुए।

गुरुद्वारा सिंह सभा, मानगो के महासचिव जसवंत सिंह जस्सू ने बताया कि 90 दिनों से लगातार चल रहे सहज पाठ का समापन स्त्री सत्संग सभा द्वारा शुक्रवार को किया जायेगा। 23 दिसंबर को बच्चों के लिए प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम शाम छः बजे किया जायेगा जबकि 24 दिसंबर को रक्तदान और नेत्र जांच शिविर लगाया जायेगा। इसके अलावा अन्य दैनिक धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम भी होते रहेंगे। गुरु का अटूट लंगर भी चलेगा।

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