होली पर भद्रा का साया, सिर्फ एक घंटे का दहन मुहूर्त, कुछ राशियों पर अशुभ दृष्टी_*
न्यूज़ लहर संवाददाता
नई दिल्ली: पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। इसे प्रायः अशुभ दृष्टि वाला माना जाता है।
_Holi 2024 की तैयारियों जोरों पर शुरू हो चुकी हैं। इस बार 24 मार्च को होलिक दहन है और 25 मार्च को धुलेंडी है। होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर किया जाएगा। इस बार होलिका पर भद्रा का साया है। इस वजह से एक घंटे का समय ही मिलेगा जो होलिका दहन लिए शुभ होगा।_
_शासकीय संस्कृत महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. अभिषेक पांडेय ने बताया कि इस बार भी होलिका दहन के अवसर पर भद्रा का साया है इस कारण होलिका दहन भद्रा की समाप्ति के बाद किया जाएगा। पंचांग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व है। पंचांगों के अनुसार 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि का आरंभ सुबह 9.56 बजे से होगा और 25 मार्च दोपहर 12.30 बजे तक रहेगी। 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि के आरंभ के साथ ही भद्रा लगी रही है और रात में 11.14 बजे तक भद्रा रहेगी। ऐसे में भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना शुभ रहेगा। अत: होलिका दहन 24 मार्च रविवार को भद्रा समाप्ति के बाद रात्रि 11.15 से 12.20 के मध्य होलिका दहन शुभ रहेगा। वहीं होलिका का पूजन प्रदोष काल व रात्रिकाल में शुभ रहेगा।_
*क्या है भद्रा*
_पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। यह प्राय: अशुभ दृष्टि वाली है। ज्योतिष में तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण से मिलकर पंचांग बनता है। इनमें से 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। वैसे तो भद्रा का अर्थ मंगल करने वाला होता है, लेकिन इस अर्थ के विपरीत विष्टि या भद्रा करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं। वैसे लगभग प्रत्येक पूर्णिमा पर भद्रा आती है, लेकिन होली तथा रक्षाबंधन पर्व पर इसका प्रभाव अधिक रहता है। भद्रा का कुछ राशियों पर शुभ तो कुछ पर अशुभ प्रभाव भी दिखेगा।_
*_मिलेगा सिर्फ एक घंटा 20 मिनट_*
_पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रंगों का त्योहार होली हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन बाद मनाया जाता है। होली के एक दिन पहले पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन 24 मार्च 2024 को है फिर उसके एक दिन बाद 25 मार्च को होली खेली जाएगी। हिंदू धर्म में होली का त्योहार विशेष महत्व रखता है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है। जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। होली के दिन सभी मिलकर एक दूसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं।_
_हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए एक घंटा 20 मिनट का ही समय रहेगा। इसकी वजह इस दिन उस दिन भद्रा प्रातः 9:55 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:13 तक भूमि लोक की रहेगी। जो की सर्वथा त्याज्य है। अतः होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 के मध्य होगा। होलिका दहन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:34 बजे से अगले दिन सुबह 06:19 बजे तक है। वहीं रवि योग रवि योग सुबह 06:20 बजे से सुबह 07:34 बजे तक है।_
_ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि होली के एक दिन पहले पूर्णिमा की तिथि में होलिका दहन किया जाता है। वहीं पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 मार्च सुबह 8:13 मिनट से लेकर अगले दिन 25 मार्च सुबह 11:44 मिनट तक रहने वाली है। दिन भर उदय के कारण 24 मार्च को ही पूर्णिमा तिथि मान्य रहेगी। इस वर्ष होली का त्योहार 25 मार्च को मनाया जाएगा। जबकि इसके एक दिन पहले 24 मार्च को होलिका दहन है। होली उत्सव से आठ दिन पहले होलाष्टक लगेगा। होलाष्टक 17 मार्च से लग जाएगा।_
*होलिका दहन पर भद्रा का साया*
_ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार 24 मार्च को होलिका दहन के लिए लोगों के पास केवल 1 घंटा 20 मिनट का समय रहेगा। इसकी वजह इस दिन उस दिन भद्रा प्रातः 9:55 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:13 तक भूमि लोक की रहेगी। जो की सर्वथा त्याज्य है। अतः होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 के मध्य होगा। उस दिन भद्रा की पूंछ शाम 06:33 बजे से शाम 07:53 बजे तक है, वहीं भद्रा का मुख शाम 07:53 बजे से रात 10:06 बजे तक है। भद्रा योग रहेगा। भद्रा को अशुभ माना जाता है।_
_यथा भद्रायां हे न कर्तव्ये श्रावणी_ (रक्षाबंधन) फाल्गुनी _(होलिकादहन) तथा।_
_श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्राम दहति फाल्गुनी ॥_
_( मुहर्त्तचिंतामणि )_
*भद्रा समाप्ति के बाद होलिका दहन मुहूर्त*
_साल 2024 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 तक है। होलिका दहन के लिए 1 घंटा 20 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा। होलिका दहन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:34 बजे से अगले दिन सुबह 06:19 बजे तक है। वहीं रवि योग रवि योग सुबह 06:20 बजे से सुबह 07:34 बजे तक है।_
*नहीं होते भद्रा में शुभ कार्य*
_भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया है। पंचांग के 5 प्रमुख अंग तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण होते हैं। करण की संख्या 11 होती है। ये चर-अचर में बांटे गए हैं। इन 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। मान्यता है कि ये तीनों लोक में भ्रमण करती हैं, जब मृत्यु लोक में होती हैं, तो अनिष्ट करती हैं। भद्रा योग कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में चंद्रमा के विचरण पर भद्रा विष्टिकरण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है।_
*होलिका दहन विधि*
_भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन का तैयारी कई दिनों पहले से होने लगती हैं। होलिका दहन वाले स्थान पर लकड़ियां, उपले और अन्य जलाने वाली चीजों को एकत्रित किया जाता है। इसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर विधिवत रूप से पूजन करते हुए होलिका में आग लगाई जाती है। फिर होलिका की परिक्रमा करते हुए पूजा सामग्री को होलिका में डाला जाता है।_
न्यूज़ लहर संवाददाता
नई दिल्ली: पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। इसे प्रायः अशुभ दृष्टि वाला माना जाता है।
_Holi 2024 की तैयारियों जोरों पर शुरू हो चुकी हैं। इस बार 24 मार्च को होलिक दहन है और 25 मार्च को धुलेंडी है। होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर किया जाएगा। इस बार होलिका पर भद्रा का साया है। इस वजह से एक घंटे का समय ही मिलेगा जो होलिका दहन लिए शुभ होगा।_
_शासकीय संस्कृत महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. अभिषेक पांडेय ने बताया कि इस बार भी होलिका दहन के अवसर पर भद्रा का साया है इस कारण होलिका दहन भद्रा की समाप्ति के बाद किया जाएगा। पंचांग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व है। पंचांगों के अनुसार 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि का आरंभ सुबह 9.56 बजे से होगा और 25 मार्च दोपहर 12.30 बजे तक रहेगी। 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि के आरंभ के साथ ही भद्रा लगी रही है और रात में 11.14 बजे तक भद्रा रहेगी। ऐसे में भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना शुभ रहेगा। अत: होलिका दहन 24 मार्च रविवार को भद्रा समाप्ति के बाद रात्रि 11.15 से 12.20 के मध्य होलिका दहन शुभ रहेगा। वहीं होलिका का पूजन प्रदोष काल व रात्रिकाल में शुभ रहेगा।_
*क्या है भद्रा*
_पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। यह प्राय: अशुभ दृष्टि वाली है। ज्योतिष में तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण से मिलकर पंचांग बनता है। इनमें से 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। वैसे तो भद्रा का अर्थ मंगल करने वाला होता है, लेकिन इस अर्थ के विपरीत विष्टि या भद्रा करण में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं। वैसे लगभग प्रत्येक पूर्णिमा पर भद्रा आती है, लेकिन होली तथा रक्षाबंधन पर्व पर इसका प्रभाव अधिक रहता है। भद्रा का कुछ राशियों पर शुभ तो कुछ पर अशुभ प्रभाव भी दिखेगा।_
*_मिलेगा सिर्फ एक घंटा 20 मिनट_*
_पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रंगों का त्योहार होली हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन बाद मनाया जाता है। होली के एक दिन पहले पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन 24 मार्च 2024 को है फिर उसके एक दिन बाद 25 मार्च को होली खेली जाएगी। हिंदू धर्म में होली का त्योहार विशेष महत्व रखता है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है। जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। होली के दिन सभी मिलकर एक दूसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं।_
_हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए एक घंटा 20 मिनट का ही समय रहेगा। इसकी वजह इस दिन उस दिन भद्रा प्रातः 9:55 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:13 तक भूमि लोक की रहेगी। जो की सर्वथा त्याज्य है। अतः होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 के मध्य होगा। होलिका दहन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:34 बजे से अगले दिन सुबह 06:19 बजे तक है। वहीं रवि योग रवि योग सुबह 06:20 बजे से सुबह 07:34 बजे तक है।_
_ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि होली के एक दिन पहले पूर्णिमा की तिथि में होलिका दहन किया जाता है। वहीं पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 मार्च सुबह 8:13 मिनट से लेकर अगले दिन 25 मार्च सुबह 11:44 मिनट तक रहने वाली है। दिन भर उदय के कारण 24 मार्च को ही पूर्णिमा तिथि मान्य रहेगी। इस वर्ष होली का त्योहार 25 मार्च को मनाया जाएगा। जबकि इसके एक दिन पहले 24 मार्च को होलिका दहन है। होली उत्सव से आठ दिन पहले होलाष्टक लगेगा। होलाष्टक 17 मार्च से लग जाएगा।_
*होलिका दहन पर भद्रा का साया*
_ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार 24 मार्च को होलिका दहन के लिए लोगों के पास केवल 1 घंटा 20 मिनट का समय रहेगा। इसकी वजह इस दिन उस दिन भद्रा प्रातः 9:55 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:13 तक भूमि लोक की रहेगी। जो की सर्वथा त्याज्य है। अतः होलिका दहन भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 के मध्य होगा। उस दिन भद्रा की पूंछ शाम 06:33 बजे से शाम 07:53 बजे तक है, वहीं भद्रा का मुख शाम 07:53 बजे से रात 10:06 बजे तक है। भद्रा योग रहेगा। भद्रा को अशुभ माना जाता है।_
_यथा भद्रायां हे न कर्तव्ये श्रावणी_ (रक्षाबंधन) फाल्गुनी _(होलिकादहन) तथा।_
_श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्राम दहति फाल्गुनी ॥_
_( मुहर्त्तचिंतामणि )_
*भद्रा समाप्ति के बाद होलिका दहन मुहूर्त*
_साल 2024 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 तक है। होलिका दहन के लिए 1 घंटा 20 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा। होलिका दहन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:34 बजे से अगले दिन सुबह 06:19 बजे तक है। वहीं रवि योग रवि योग सुबह 06:20 बजे से सुबह 07:34 बजे तक है।_
*नहीं होते भद्रा में शुभ कार्य*
_भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया है। पंचांग के 5 प्रमुख अंग तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण होते हैं। करण की संख्या 11 होती है। ये चर-अचर में बांटे गए हैं। इन 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। मान्यता है कि ये तीनों लोक में भ्रमण करती हैं, जब मृत्यु लोक में होती हैं, तो अनिष्ट करती हैं। भद्रा योग कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में चंद्रमा के विचरण पर भद्रा विष्टिकरण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है।_
*होलिका दहन विधि*
_भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलिका दहन का तैयारी कई दिनों पहले से होने लगती हैं। होलिका दहन वाले स्थान पर लकड़ियां, उपले और अन्य जलाने वाली चीजों को एकत्रित किया जाता है। इसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर विधिवत रूप से पूजन करते हुए होलिका में आग लगाई जाती है। फिर होलिका की परिक्रमा करते हुए पूजा सामग्री को होलिका में डाला जाता है।_