जाने महान देश भक्त पंडित कांशीराम स्मृति दिवस
न्यूज़ लहर संवाददाता
पंडित कांशीराम ग़दर पार्टी के प्रमुख नेता और देश की स्वाधीनता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे।
पंडित कांशीराम का जन्म 1883 ई. में पंजाब के अंबाला ज़िले में हुआ था। मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने तार भेजने प्राप्त करने का काम सीखा और कुछ दिन अंबाला और दिल्ली में नौकरी की। इसके बाद वे अमेरिका चले गए।
यहीं से उनका क्रांतिकारी जीवन आरंभ होता है।
स्वाधीनता के नायक पंडित कांशीराम-आजादी के परवाने एवं देश के पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम अब स्मृतियों में ही रह गए हैं।
वे ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ अमेरिका’ और ‘इंडियन इंडिपैंडेंट लीग’ में शामिल हो गए। 1913 में पंडित कांशीराम ‘ग़दर पार्टी’ के कोषाध्यक्ष बन गए।
जिस समय यूरोप में प्रथम विश्वयुद्ध के बादल मंडरा रहे थे, ग़दर पार्टी ने निश्चय किया कि कुछ लोगों को अमेरिका से भारत वापस जाना चाहिए। वे वहां जाकर भारतीय सेना में अंग्रेजों के विरुद्ध भावनाएँ भड़काएँ।
उन्होंने सेना की कई छावनियों की यात्रा की और सैनिकों को अंग्रेजों की सत्ता उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया। कांशीराम और उनके साथियों ने अपने कार्य के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से मोगा का सरकारी कोषागार लूटने का असफल प्रयत्न भी किया। इसी सिलसिले में एक सब इंस्पेक्टर और एक जिलेदार इनकी गोलियों से मारे गए।
कांशीराम और उनके साथी पकड़े गए, मुकदमा चला और 27 मार्च, 1915 को कांशीराम जी को फाँसी दे दी गई।
(सभार)