Regional

राजनगर प्रखंड के पुजारी का दावा, सपने में हाथी खेदा ठाकुर ने दर्शन दिए और कर दी मूर्ति स्थापना, भक्तों का लग गया ताता, सभी मांगने लगे मन की मुराद क्या है ..…. क्या है मामला जाने न्यूज़ लहर के साथ

संजय कुमार सिंह
झारखंड: सरायकेला खरसावां जिला के राजनगर प्रखण्ड के
पुजारी गिरीधारी महतो ने अद्भुत दावा किया है। जिसकी न्यूज़ लहर पुष्टि नहीं करता है। लेकिन दावा अनोखा होने के चलते अपने सुधि पाठकों को इस से अवगत कराना जरूरी समझता है।


पुजारी गिरीधारी महतो के अनुसार छोटा खीरी में हाथी खेदा ठाकुर को 18 वर्षों से श्रद्धा एवं भक्ति भाव से प्रतिदिन पूजा-अर्चना होती है। पुजारी गिरीधारी महतो ने दावा किया कि एक दिन वे जमशेदपुर स्थित मेहमान घर गए थे।वे रात के समय चार तल्ला मकान के ऊपर सोया हुआ थे।उस दौरान रात में हाथी खेदा ठाकुर उनको उठा कर पटमदा स्थित लोजोरा लेकर पहुंच गए ।वे कैसे पहुचे,यह उनको पता नहीं था । वहां हाथी खेदा ठाकुर ने उनको रात में दो मिट्टी के हाथी का मुर्ति देकर कहा कि इसे लेकर अपने गांव में स्थापित कर प्रतिदिन भक्ति भाव से पूजा अर्चना करना । तब वे रातों-रात दो हाथी के मूर्ति लेकर गांव पहुंचे। इसकी भी उनको पता नहीं है। इस दौरान वे 22 दिन तक कठोर निर्जला उपवास कर 23 वे दिनों बाद ठाकुर द्वारा दिया हुआ दोनों हाथी के मूर्ति को स्थापित किए।वे पूजा-अर्चना करने लगे। लोगों ने जब यह खबर सुनी,तब सैकड़ों की संख्या में उड़ीसा , बंगाल , बिहार , झारखंड के भक्त पूजा करने पहुंचे लगे। पूजा के दौरान चुनरी से नरियल को बरगद के पेड़ पर बांधकर , भक्तों ने अपने परिवार एवं गांव के सुख शांति के लिए मन्नत मांगी । मन्नत पूरा होने पर उस नारियल को पेड़ से उतारकर पूजा अर्चना करते हैं। भेड़ की बलि चढ़ाते हैं । यह प्रसाद महिलाएं नहीं खा सकती है। प्रसाद को घर ले जाना माना है। बरगद के पेड़ में राम , लखन, सीता , गणेश , शिव एवं पांच पांडव का भी परिचय प्रकट हुआ है । पिता गिरीधारी महतो पुत्र रंजीत महतो दोनों मिलकर प्रतिदिन पूजा अर्चना करते हैं। यह दावा पुजारी ने अपने निजी स्वार्थ के लिए किया है या सच में हाथी खेड़ा ठाकुर ने पुजारी को सोते वक्त छत से उठाकर अपने स्थान पर ले गए।वहां से मूर्ति देकर गांव पहुंचा दिए ।यह तो जांच का विषय है।प्रथम दृष्टि में यह पुजारी का नया प्रोपेगेंडा लगता है। जिससे लोग सहज स्वीकार्य नहीं रहे है। लेकिन जिनकी श्रद्धा है वह पूजा लगाने के लिए लंबी लाइनें लगाकर कतार में खड़े हैं।श्रद्धा का तो कोई मोल नहीं होता है। भले पुजारी अपने स्वार्थ के लिए जो भी दावे करें।

Related Posts