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इस बार छह जून को शनि जयंती 2024: पूजा विधि और मंत्र*

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली:शास्त्रों के अनुसार, शनि देवजी का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रात के समय हुआ था। इस बार शनि जयंती 06 जून 2024, गुरुवार को पड़ रही है।

शनि जयंती पूजा विधि

1. *स्नान और आशीर्वाद*:
– सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले अपने इष्टदेव, गुरु और माता-पिता का आशीर्वाद लें।

2. *भगवान शिव का अभिषेक*:
– पूजा क्रम शुरू करते हुए सबसे पहले शनिदेव के इष्ट भगवान शिव का ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र बोलते हुए गंगाजल, कच्चा दूध तथा काले तिल से अभिषेक करें।


– अगर घर में पारद शिवलिंग है तो उनका अभिषेक करें, अन्यथा शिव मंदिर जाकर अभिषेक करें।
– भांग, धतूरा एवं 108 आंकड़े के फूल अर्पित करें।
– द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम का उच्चारण करें:

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्‌।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥

3. *शनिदेव की पूजा*:
– सर्वप्रथम शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
– “ऊँ शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का निरंतर जप करते रहें।
– सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें तथा कस्तूरी अथवा चन्दन की धूप अर्पित करें।
– शनि के वैदिक मंत्र का उच्चारण करें:

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥

4. *स्तोत्र पाठ*:
– शनिदेव के स्तोत्र का पाठ करें:

नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरुपाय कृष्णाय नमोऽस्तुते॥
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकायच।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोऽस्तुते।
प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥

5. *पीपल वृक्ष पूजा*:
– शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें।
– शनिदेव से प्रार्थना करें कि सभी समस्याएं दूर हों और बुरे समय से पीछा छूट जाए।
– इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।

इस विधि से शनि जयंती की पूजा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

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