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जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त के निर्देशानुसार उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में जिले के प्रगतिशील किसानों के साथ आयोजित हुई बैठक, पी.डी आई.टी.डी.ए, निदेशक एनईपी, सहकारिता, कृषि, उद्यान, पशुपालन विभाग के पदाधिकारी हुए शामिल*

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: पूर्वी सिंहभूम जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल के निर्देशानुसार समाहरणालय सभागार, जमशेदपुर में जिले के प्रगतिशील किसानों के साथ बैठक आयोजित की गई। उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में आहूत बैठक में जिले के किसानों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया ताकि वे एक दूसरे के अनुभवों से सीख सकें तथा अपने गांव-पंचायत के अन्य किसानों को भी खेती-किसानी की नई तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित कर सकें।

इस मौके पर प्रगतिशील किसानों ने विभिन्न कृषि उत्पाद जैसे मशरूम, फूल की खेती, सब्जी व अन्य उत्पादों में बेहतर कार्य एवं उत्पादन से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। कृषि क्षेत्र में बेहतर करने वाले किसानों को उप विकास आयुक्त एवं पीडी आईडीटीए द्वारा सम्मानित भी किया गया ।

*’राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लें, समेकित कृषि प्रणाली से जुड़ें किसान’*

उप विकास आयुक्त मनीष कुमार ने कहा कि कृषि क्षेत्र में जिला में अपार संभावनायें है । उन्होने जिले में कृषि उद्यमिता को बढावा देने की बात कही। किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़ने, गांव-गांव में किसान गोष्ठी करने पर बल दिया। उन्होने कहा कि यह ऐसा जिला है जहां धान, सब्जी की व्यापक मात्रा में खेती से लेकर काजू की भी खेती होती है।

राज्य सरकार द्वारा किसानों को खेती की नई तकनीक सीखने के लिए इजरायल भेजा गया इसमें पूर्वी सिंहभूम जिला के किसान भी शामिल हैं । कृषि विभाग द्वारा भी प्रतिवर्ष चयनित प्रगतिशील किसानों को दूसरे राज्य तथा झारखंड राज्य के अलग-अलग जिलों का परिभ्रमण कराया जाता है ।

उक्त सभी कार्यक्रमों का यही उद्देश्य होता है कि जब वे किसान अपने ग्राम-पंचायत में वापस लौटें तो अपने अनुभव से अन्य किसानों को भी प्रेरित करें । जिला स्तरीय बैठक का आयोजन भी इसी दिशा में एक पहल है तथा इसे नियमित किया जाएगा जिससे किसान एक मंच पर आकर अपनी सफलताओं से दूसरे किसानों को प्रेरित कर सकें ।

उप विकास आयुक्त ने कहा कि पारंपरिक खेती को छोड़कर इससे एक कदम अब आगे बढ़ाना है । राज्य सरकार कृषि क्षेत्र में आवश्यक सहयोग के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन से भी किसानों को जोड़ने के लिए योजनायें संचालित कर रही है। जरूरत है कि स्थानीय स्तर पर किसान योजना का लाभ लेते हुए बहुउपज को बढ़ावा दें, समेकित कृषि प्रणाली को अपनायें। खेती से जुड़े किसान पशुपालन, मत्स्यपालन भी करें ताकि वे आर्थिक रूप से और समृद्ध हो सकें।

*मूल्यवर्धक अनाज उत्पादन पर हो फोकस*

 

पी.डी आईटीडीए दीपांकर चौधरी ने कहा कि समाज के तौर पर हम तभी विकसित माने जाएंगे जब हमारे अन्नदाता किसान समृद्ध और सशक्त होंगे । किसानों को भी खेती-किसानी के नई तकनीकों को अपनाने की आवश्कता है जिससे उनकी उपज के साथ आमदनी बढ़े । मूल्यवर्धक खेती जैसे सब्जी, फूल या कृषि क्षेत्र में अन्य संभावनाओं को भी तलाशें, सरकार की योजनाएं जिससे सिंचाई समस्या को दूर करना हो या बीज वितरण, तकनीक की जानकारी उपलब्ध कराना, केसीसी से आर्थिक सहयोग हर स्तर पर किसानों को सशक्त करने का प्रयास है, जरूरत है कि किसान भी जागरूक होकर योजनाओं का लाभ लें, वैसे किसान जो प्रखंड मुख्यालय का कृषि कार्यालय नहीं आ पाते उन्हें भी जागरूक करें, तकनीक साझा करें, योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करें।

निदेशक एनईपी अजय साव ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में कृषि, सहकारिता, उद्यान तथा पशुपालन विभागीय योजनायें काफी अहम है । जागरूक नागरिक की तरह जागरूक किसान भी बनें और सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए आर्थिकोपार्जन के नए स्रोत सृजित करें।

 

बैठक में पशुपालन में बकरा, कुक्कुट, गाय, बत्तख पालन, सिंचाई से जुड़ी योजनाओं में तालाब निर्माण एवं जीर्णोद्धार, डीप बोरिंग की योजना, फसल राहत योजना, किसान ऋण माफी, जन औषधि केन्द्र, केज फिसिंग, मछली जीरा वितरण के अलावा मत्स्य प्रसार-प्रशिक्षण एवं अनुसंधान, तालाबों में मिश्रित मत्स्य पालन आदि से जुड़े कार्यों, स्वॉयल हेल्थ कार्ड एवं कृषि तथा संबद्ध विभागों के अन्य सभी विभागीय योजनाओं की जानकारी प्रगतिशील किसानों को दी गई।

 

बैठक में जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ सुरेन्द्र कुमार, जिला सहकारिता पदाधिकारी श्रीमती आशा टोप्पो, जिला कृषि पदाधिकारी दीपक कुमार, जिला उद्यान पदाधिकारी श्रीमती अनिमा लकड़ा तथा जिले के विभिन्न प्रखंडों से 150 से ज्यादा प्रगतिशील शामिल हुए।

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