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सम्मान समारोह में झारखण्ड आंदोलनकारियों की उपेक्षा, पेंशन और व्यवस्था की खामियों पर गहराया असंतोष**

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखण्ड: पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित जमशेदपुर में स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर जिला मुख्यालय द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में झारखण्ड आंदोलनकारियों की उपस्थिति में बड़ी संख्या में कमी और असंतोष देखने को मिला।

इस समारोह में कुल 425 नामित आंदोलनकारियों को प्रशस्ति पत्र दिया जाना था, लेकिन केवल 299 आंदोलनकारी ही अपना प्रशस्ति पत्र प्राप्त कर सके। शेष 126 आंदोलनकारियों को प्रशस्ति पत्र सामाजिक सुरक्षा विभाग से प्राप्त करने का आश्वासन दिया गया है।

समारोह में माननीय बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री, उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक, सामाजिक सुरक्षा विभाग की सहायक निदेशक नेहा संजना खालखो और अन्य पदाधिकारियों ने आंदोलनकारियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए।

झण्डा उत्तोलन के बाद सभी पदाधिकारी मंच से उतरकर आंदोलनकारियों के पास गए, उनके साथ फोटो खिंचवाए और उन्हें प्रणाम कर समारोह से चले गए।

हालांकि, कार्यालयी स्टाफ की हड़ताल के कारण कार्यक्रम में उचित व्यवस्था का अभाव रहा, जिससे कई आंदोलनकारी असंतुष्ट दिखाई दिए। पूरे प्रखंड के आंदोलनकारी समय पर नहीं पहुंच सके, जिससे समारोह की व्यवस्था और भी प्रभावित हुई।

आंदोलनकारियों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि सम्मान समारोह में उन्हें पेंशन राशि अभी तक नहीं दी गई है, जबकि यह चौथा महीना है। खेती-बाड़ी के समय में पेंशन राशि की अनुपलब्धता से आंदोलनकारियों की स्थिति और भी कठिन हो गई है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि झारखण्ड के निर्माण के बावजूद उनकी स्थिति “मेहनत करे मुर्गी, फकीर खाए अंडा” जैसी कहावत को चरितार्थ करती है।

 

आंदोलनकारियों ने सवाल उठाया कि क्या उन्हें भी अपनी मांगे पूरी करने के लिए सरकारी कर्मचारियों की तरह भूख हड़ताल पर बैठना होगा। बंगाल बॉर्डर से मिले मिठाई और बालू छत्तू के साथ सम्मानित करने के प्रयास को भी आंदोलनकारियों ने पर्याप्त नहीं माना और अपनी नाराजगी व्यक्त की।

 

झारखण्ड आंदोलनकारियों की इस नाराजगी को सरकार के लिए एक चेतावनी के रूप में देखना चाहिए, ताकि उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जा सके। यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह असंतोष और बड़े स्तर पर आंदोलन में बदल सकता है।

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