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भारत बंद: SC/ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन, राजस्थान में स्कूलों में छुट्टी , झारखण्ड में भी असर

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

**नई दिल्ली:** आज, 21 अगस्त 2024 को, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर पर दिए गए फैसले के खिलाफ कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। इस बंद का समर्थन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) जैसी राजनीतिक पार्टियों ने भी किया है। दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर यह बंद बुलाया है।

बंद का असर

 

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, और कोचिंग संस्थानों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं। इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित की गई हैं। हालांकि, सरकारी शिक्षकों और कर्मचारियों को संस्थान में उपस्थित रहना अनिवार्य किया गया है।

झारखंड के गिरिडीह में भी बंद का व्यापक असर देखा जा रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं, जिससे वाहनों का परिचालन पूरी तरह से प्रभावित हुआ है। लंबी दूरी की बस सेवाएं भी ठप हैं, जिससे यात्रियों को वापस लौटना पड़ा है।

 

दिल्ली में स्थिति

 

दिल्ली में भारत बंद का कोई असर नहीं देखने को मिला है। चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के अनुसार, दिल्ली के सभी 700 बाजार खुले रहेंगे। CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि व्यापारियों के संगठनों से चर्चा के बाद सभी बाजार सामान्य रूप से कार्य करेंगे।

 

NACDAOR की मांगें

 

नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन (NACDAOR) ने SC, ST, और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए न्याय और समानता की मांगों की एक सूची जारी की है। इसमें SC/ST/OBC के लिए आरक्षण पर एक नए अधिनियम के अधिनियमन की मांग शामिल है, जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाएगा।

 

NACDAOR ने सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति-आधारित डेटा को जारी करने की भी मांग की है ताकि उनका सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा, न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की मांग की गई है, जिसका लक्ष्य हायर ज्यूडीशियरी में SC, ST और OBC श्रेणियों से 50 फीसदी प्रतिनिधित्व लेना है।

 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

 

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में SC और ST के बीच अलग-अलग श्रेणियां बनाने की राज्य सरकारों को मंजूरी दी थी। कोर्ट ने कहा कि आरक्षण का सबसे अधिक फायदा जरूरतमंदों को मिलना चाहिए। इस फैसले के खिलाफ दलित और आदिवासी संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है, जिसे कई संगठनों ने समर्थन दिया है।

 

इस बंद का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले को वापस लेने की मांग करना है, जिसे दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया गया है।

 

निष्कर्ष

 

भारत बंद का यह आह्वान SC/ST आरक्षण के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है, जो समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संवैधानिक अधिकारों और न्याय की बहस को उजागर करता है।

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