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भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर देश भर में उत्साह, जाने कैसे मनाते हैं जन्माष्टमी 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली:कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण के जन्मदिन का त्योहार, इस वर्ष 26 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। यह पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। इसे श्री कृष्ण जयंती के नाम से भी जाना जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और आधी रात को भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।

देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। मंदिरों में विशेष सजावट और पूजा का आयोजन किया जा रहा है। भक्त अपने घरों में भी श्री कृष्ण की प्रतिमाओं को सजाकर उनकी पूजा करेंगे।

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि

 

जन्माष्टमी के व्रत में भक्त फलाहार ले सकते हैं, लेकिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। कई लोग इस व्रत को रात 12 बजे के बाद खोलते हैं, जबकि कुछ भक्त इसे अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त करते हैं। व्रत की विधि इस प्रकार है:

1. **स्नान और संकल्प**:

– सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।

– व्रत का संकल्प लें।

2. **पूजा की तैयारी**:

– श्री कृष्ण भगवान की पूजा के लिए एक स्थान तैयार करें।

– घी का दीपक जलाएं और तुलसी की एक पत्ती हाथ में पकड़कर व्रत का संकल्प लें।

3. **पूजा और भोग**:

– दिनभर मन में राधा-कृष्ण का जप करते रहें।

– रात 12 बजे विशेष पूजा करें, जिसमें भगवान को भोग अर्पित करें।

 

4. **व्रत का पारण**:

– व्रत का पारण रात 12 बजे के बाद या अगले दिन सूर्योदय के बाद करें।

 

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत नियम

 

जन्माष्टमी व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है:

 

– **ब्रह्मचर्य का पालन**: व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।

– **अन्न का सेवन न करें**: केवल फलाहार करें, अन्न का सेवन वर्जित है।

– **पूजा का समय**: पूजा सुबह और रात में विधि विधान से करें।

– **मंदिर जाना**: इस दिन श्री कृष्ण भगवान के मंदिर अवश्य जाएं।

– **प्रसाद ग्रहण**: जो प्रसाद भगवान को अर्पित करें, उसे ही ग्रहण करके व्रत खोलें।

– **सोना न करें**: व्रत रखने वालों को दिन में सोना नहीं चाहिए।

– **शब्दों का ध्यान रखें**: किसी को अपशब्द नहीं कहने चाहिए।

 

निष्कर्ष

 

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भक्तों के लिए एक अवसर है भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम प्रकट करने का। इस दिन की विशेष पूजा और व्रत का पालन करके भक्त अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। इस बार जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की कृपा सभी भक्तों पर बनी रहे, यही शुभकामना है।

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