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आपातकाल में आनंद मार्ग पर हो रहे अत्याचार के विरोध में भारत ,मनीला ,टैक्सास जर्मनी एवम वर्लीन में आनंदमार्गीयो ने किया था आत्मदाह 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

 

झारखंड:25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के विरोध में काला दिवस के रूप में मनाते हैं । आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से 3 घंटे का “बाबा नाम केवलम “अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया था आपातकाल में आनंद मार्ग के ऊपर हो रहे अत्याचार के विरोध में जितने भी लोग दधीचि हुए उन अमर आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई , सुनील आंनद ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र पर काला धब्बा लगाते हुए पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के बाद नागरिकों के मूल अधिकार स्थगित हो गया। 25 जून 1975 को पूरे भारतवर्ष में इमरजेंसी लगा दिया गया आनंद मार्ग के लगभग एक सौ से भी ज्यादा संगठनों को बैंड कर दिया गया। अनुयायियों को जेल भेजा गया एवं उन पर सबसे ज्यादा अत्याचार किया गया ।आनंद मार्ग के गुरु संस्थापक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी को चिकित्सा के नाम पर जहर दिया गया। वे किसी तरह बाल बाल बच गए ।

आनंद मार्ग के अनुयायियों ने अपने आराध्य गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी के ऊपर हो रहे अत्याचार के विरोध में भारत के साथ-साथ विदेशों में भी आत्मदाह किया था।

आ. दिव्यानन्द अवधूत :- सुबह में आ. दिव्यानन्द अवधूत ने बाबा को जेल में दिये गए विष व उन पर किये जा रहे अत्याचारों के विरोध मे पटना विधानसभा के सामने आत्मदाह किया।

 

2) आ. दिनेश्वरानन्द अवधूत दिल्ली के पुराने किले मे बाबा पर किये जा रहे अत्याचारों के विरोध मे आ. दिनेश्वरानन्द अवधूत ने आत्मदाह किया।

 

3) आ. अतुलानन्द अवधूत : बांकीपुर जेल पटना में बाबा पर किये जा रहे अत्याचारों के विरोध में आत्मदाह किया।

 

4) आ. त्यागीश्वरानन्द अवधूत :- आपातकाल के दौरान आ. त्यागीश्वरानन्द अवधूत को सरकार ने गिरफ्तार कर आदर्श से डिगाने के लिए भागलपुर जेल में इतनी यातनाएं दी गयी कि उनकी मृत्यु हो गई।

 

5) ब्रह्मचारिणी ऊमा आचार्या व आ. लोकेश ब्रह्मचारी :- बाबा पर किये जा रहे अत्याचारों के विरोध में, बर्लिन (जर्मनी ) मे ब्रह्मचारिणी ऊमा आचार्या व आ. लोकेश ब्रह्मचारी ने आत्मदाह किया।

 

6) आ. गगन ब्रह्मचारी :- बाबा पर किये जा रहे अत्याचारों के विरोध में डलास, टैक्सास, यू.एस.ए. मे आ. गगन ब्रह्मचारी द्वारा आत्मदाह किया गया।

 

7) ब्रह्मचारिणी असीतिमा आचार्या :- ल्यूनेटा पार्क, मनीला में बाबा पर किये जा रहे अत्याचारों के विरोध में आत्मदाह किया।

 

8) शांति :- जैनेवा में ब्रह्मचारिणी शांति ने आत्मदाह किया।

 

वरिष्ठ पत्रकार कूमी कपूर की पुस्तक “द इमरजेंसी “में लिखकर बताया है कि आनंदमार्गीयों को गिरफ्तार करने की योजना इमरजेंसी के 6 महीना पहले से ही बनाई जा रही थी। सिद्धार्थ शंकर रे जो कि पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री थे एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सहपाठी भी थे। उन्होंने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर आनंदमार्गीयों की गिरफ्तारी की लिस्ट तैयार करने के लिए कहां की सभी मुख्यमंत्रियों को आदेश देने के लिए कहा था। कूमी कपूर ने अपने पुस्तक” द इमरजेंसी” में उनके द्वारा इंदिरा गांधी को लिखा गया पत्र को प्रकाशित किया है। 8 जनवरी 1975 को सिद्धार्थ शंकर रे ने इंदिरा को एक चिट्ठी में आपातकाल की पूरी योजना भेजी थी। चिट्ठी के मुताबिक ये योजना तत्कालीन कानून मंत्री एच आर गोखले, कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ और बांबे कांग्रेस के अध्यक्ष रजनी पटेल के साथ उनकी बैठक में बनी थी। इससे साफ जाहिर होता है की इमरजेंसी के बहाने आनंद मार्गीयो को खत्म करने की साजिश थी आनंद मार्ग के गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी काफी टॉर्चर किया गया एवं उनके अनुयायियों को भी काफी टॉर्चर किया गया ,सिनेमा हॉल में आनंद मार्ग के विरुद्ध विज्ञापन दिखाया जाता था। आनंद मार्ग का मतलब बच्चा चोर एवं मुरी कटवा यह सरकारी विज्ञापन हुआ करता था ।ताकि आम जनता में भय एवं घृणा का माहौल उत्पन्न हो। सरकारी नौकरी में काम करने वाले लोगों को आनंद मार्ग छोड़ देने की के लिए कहा गया, जो आनंद मार्ग नहीं छोड़ेंगे उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

जमशेदपुर के स्वर्गीय ठाकुर जी सिंह आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किए गए। स्वर्गीय ठाकुर जी सिंह की पत्नी श्रीमती उर्मिला देवी बताती है कि जब देश में आपातकाल लगा था तब पति तो जेल चले गए। परंतु मेरा बड़ा बेटा सत्येंद्र सिंह उर्फ जयदेव आनंद मार्ग के मुख्यालय आनंद नगर में पढ़ाई करता था। पता चला आनंद नगर को सरकार के सहयोग से कम्युनिस्ट के गुंडों ने पूरा जला दिया है। हॉस्टल में पढ़ने वाले बच्चों को भगा दिया गया। सभी बच्चे किसी तरह अपने-अपने घर शायद पहुंच पाए होंगे। मेरा बच्चा भी अचानक घर पहुंचा। तब उन्होंने बताया कि सभी शिक्षकों एवं आनंद नगर में रहने वाले सन्यासियों जेल भेज दिया गया है और बच्चों को अपने-अपने घर जाने के लिए बोल दिया गया। छोटे-छोटे बच्चे कहां जाते किसी किसी के सहारे किसी तरह घर पहुंचे ।पति जेल चले गए और एक बच्चा दूसरे जगह वहां क्या हो रहा कुछ पता नहीं। छोटे-छोटे बच्चे घर पर क्या बितता होगा ,आप सोच सकते हैं। आपातकाल देश में किस तरह क्रूरता पूर्ण रवैया अपनाया था करोना से भी खतरनाक था इमरजेंसी।

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