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झारखंड अधिविद्य परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार महतो के कार्यकाल पर गंभीर आरोप, संघ ने शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद ताहिर हुसैन ने राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन को एक पत्र लिखकर झारखंड अधिविद्य परिषद (जैक) के अध्यक्ष अनिल कुमार महतो के कार्यकाल में छात्रों और विद्यालयों को झेलनी पड़ी समस्याओं पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पत्र में अनिल कुमार महतो के कार्यकाल को विवादित बताते हुए उनके खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, अनियमितताएं, और छात्रों के भविष्य को नुकसान पहुंचाने वाले निर्णय शामिल हैं।

कार्यकाल को बताया विवादित

 

मोहम्मद ताहिर हुसैन ने पत्र में कहा कि अनिल कुमार महतो का कार्यकाल आरंभ से ही विवादों में घिरा रहा है। उनके कार्यकाल में पूर्वी सिंहभूम जिला के मॉडल उच्च विद्यालय धालभूमगढ़ जैसे कई मामलों में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप और शिक्षा मंत्री के सहयोग से ही छात्रों को परीक्षा देने का अवसर मिल सका। उन्होंने आरोप लगाया कि अनिल कुमार महतो द्वारा अवैध रकम की मांग पूरी न होने पर कई विद्यालयों और छात्रों के खिलाफ अनावश्यक अड़चनें खड़ी की गईं, जिससे सरकार को अनावश्यक रूप से कानूनी खर्च वहन करना पड़ा।

परीक्षा शुल्क में बेतहाशा वृद्धि

 

पत्र में यह भी बताया गया कि झारखंड अधिविद्य परिषद ने अपने तीन साल के कार्यकाल में माध्यमिक और इंटरमीडिएट परीक्षा के पंजीयन और परीक्षा शुल्क में अत्यधिक वृद्धि की है। वर्तमान में माध्यमिक परीक्षा के लिए प्रत्येक छात्र से ₹1340 शुल्क वसूला जा रहा है, जो निकटवर्ती राज्यों बिहार और बंगाल में ₹480 के आसपास है। इस वृद्धि से गरीब और अभावग्रस्त वर्ग के छात्रों के लिए शिक्षा मुश्किल हो गई है, और कई छात्रों को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पाठ्यक्रम में बदलाव पर आपत्ति

 

झारखंड अधिविद्य परिषद द्वारा लागू किए गए नियमों पर भी गंभीर सवाल उठाए गए। नियम के अनुसार, यदि कोई छात्र नवीं या ग्यारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 10वीं या 12वीं की परीक्षा तीन वर्षों में नहीं दे पाता है, तो उसे पुनः नवीं या ग्यारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। इस प्रक्रिया को “अनुचित और छात्रों के समय की बर्बादी” करार देते हुए इसे तुरंत संशोधित करने की मांग की गई है।

 

स्वतंत्र छात्रों के लिए अलग नियमों पर सवाल

 

स्वतंत्र छात्रों के लिए 9वीं या 11वीं कक्षा की परीक्षा अनिवार्य करने और नियमित छात्रों की तुलना में पांच गुना अधिक शुल्क वसूलने को अनुचित बताते हुए संघ ने इस नीति में बदलाव की मांग की है। उनका कहना है कि स्वतंत्र छात्रों को सीधे 10वीं और 12वीं की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मिलनी चाहिए।

 

परीक्षा में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप

 

मोहम्मद ताहिर हुसैन ने 2022 की इंटरमीडिएट परीक्षा में हुए घोटालों का भी उल्लेख किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ विद्यालयों और महाविद्यालयों से मोटी रकम लेकर छात्रों को बिना 9वीं और 11वीं की परीक्षा के सीधे 10वीं और 12वीं की परीक्षा में बैठाया गया। संघ ने इस मामले की गहराई से जांच करने की मांग की है।

 

सरकार से सुधार की अपील

 

संघ ने राज्य सरकार से अपील की है कि झारखंड अधिविद्य परिषद द्वारा बनाए गए “बिना आधार वाले नियमों” को तुरंत संशोधित किया जाए, ताकि राज्य में साक्षरता दर को बढ़ावा मिल सके और अधिक छात्र शिक्षा प्राप्त कर सकें।

 

संघ ने यह भी कहा कि झारखंड के वर्तमान नियम देश में कहीं और लागू नहीं हैं और यह नियम राज्य के बच्चों को निरक्षर रहने पर मजबूर कर रहा है। अगर सरकार इन समस्याओं का समाधान करती है, तो यह राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा सुधार होगा।

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