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वृहद छोटा नागपुर के आदि-बुनियाद पुस्तक का लोकार्पण* *कुड़मी समाज को जगाने का सराहनीय प्रयास : सांसद*

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड।जमशेदपुर स्थित सोनारी स्थित देवेंद्र सेवा संघ में शहर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता सुनील कुमार गुलिआर द्वारा रचित ‘वृहद छोटानागपुर के आदि-बुनियाद’ नामक पुस्तक का लोकार्पण कार्यक्रम हुआ, इसमें झाड़खंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा आदि राज्यों से शिक्षित व गणमान्य लोग शामिल हुए। मंच संचालन का दायित्व गुणधाम मुतरुआर एवं मोहिनी मोहन महतो और स्वागत गीत महादेव डुमरिआर द्वारा गाया गया।

इस पुस्तक समीक्षा अभिभाषण में चास कॉलेज चास के प्राचार्य भूतनाथ महतो ने कहा कि भौगोलिक दृष्टिकोण से वृहद छोटानागपुर के सभी लोग गोंडवाना पृष्ठभूमि के है और यहीं से कृषि सभ्यता का विकास हुआ है और इसमें विशेषकर कुड़मी समुदायों द्वारा प्रारंभिक योगदान रहा है।

कार्यक्रम के सभापति मुलखुंटी मुलमानता अजीत प्रसाद महतो ने कहा वृहद छोटानागपुर के आदिवासी, अनुसूचित जनजाति, 1941 की जनगणना में आदिवासियों को हिन्दू बताने की साजिश, आदिवासी महासभा बनाम सनातन आदिवासी महासभा के बीच का वैचारिक संघर्ष, आदिवासी अर्थात सारना धर्म, लोकुर कमेटी, आदिम कुड़मी, राढ़ क्षेत्र के लिपि, झाड़खंडी संस्कृति आदि पर विशेष अध्ययन कर इस पुस्तक में लिपिबद्ध हुई है तथा सारगर्भित तथ्यों के लिए गुलिआर साहब की कृति तारीफें काबिले है।

मुख्य अतिथि सांसद विद्युत वरण महतो ने कहा किताब हमारे समाज का हरेक समस्याओं को सही दिशा निर्देश करने में सहयोग करती है।

जैक के सदस्य व प्राचार्य अरुण कुमार महतो, रांची हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरेन कुमार महतो, पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो, शशिभूषण काड़ुआर, डॉ विद्याभूषण महतो, डॉ वृंदावन डुमरिआर, डॉ रामकृष्ण हंसतुआर , शशांक शेखर महतो, डॉ पुलकेश्वर महतो, अधिवक्ता अहिल्या महतो आदि ने अपने अपने वक्तव्यों में आमलोगों के लिए इस किताब के महत्व, लाभ, उपयोगिता और प्रत्येक पहलूओं को समझाया।

सभी तथ्यों को शोध पत्र पर आधारित प्रमाण के साथ किताब में उद्धृत किया गया है। किताब का मूल उद्देश्य समाज की भ्रांतियां व गलतफहमियों को दूर करने का तर्कसंगत मौलिक जानकारी हासिल कराना है। यह किताब छोटा नागपुर के निवासियों के हक और अधिकार की लड़ाई में किसी भी सामाजिक आंदोलनों का अचूक अस्त्र एवं शस्त्र दोनों ही काम आएगी। सामाजिक कार्यकर्ता, राजनैतिक क्षेत्र, अधिवक्ताओं एवं प्रतियोगी छात्रों सहित झाड़खंड तथा जनजातीय व सामाजिक शोध करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह एक सार-संग्रह साबित होगी। अधिवक्ता सुनील कुमार गुलिआर लेखन कार्य के अलावा आदिवासी कुड़मी समाज के केंद्रीय महासचिव भी है। इसलिए सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान रखते हैं।

कार्यक्रम को सफल बनाने में जितेन महतो, अशोक पुनअरिआर, अधिवक्ता कुलविंदर सिंह आदि का अहम योगदान रहा।

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