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सारंडा के बिनुआ गांव की करोड़ों कि पेयजल व सिंचाई योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी                                                         

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड : पश्चिम सिंहभूम जिला के

सारंडा के बिनुआ, लोडो एवं अंकुआ गांव में शुद्ध पेयजल के साथ-साथ सिंचाई हेतु पानी पहुंचाने की करोड़ों रुपये की सरकारी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद नक्सल प्रभावित मनोहरपुर प्रखंड एवं चिड़िया पंचायत अन्तर्गत उक्त तीनों गांवों में 6 साल बाद भी एक बूंद पानी नहीं पहुंच सका है। ठेकेदार फरार हैं, जिससे तीनों गांवों के ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है। बिनुआ गांव के ग्रामीण अमर सिंह सिद्धू, पूर्ण चन्द्र चेरवा, चुम्बरु चेरवा आदि ने बताया कि वर्ष 2016-17 में यह कार्य प्रारम्भ हुआ। इस कार्य को करने वाले जमशेदपुर के ठेकेदार जीतू सिंह, पांडेय एवं यादव ने तब उन्हें बताया था कि बिनुआ, लोडो एवं अंकुआ गांव में शुद्ध पेयजल एवं कृषि कार्य हेतु पानी बिनुआ गांव के समीप बागुन कोचा नाला से चेकडैम का निर्माण कर तथा 3 किलोमीटर लंबा पानी पाइप लाइन बिछाकर पानी पहुंचाना है। यह कार्य दो करोड़ की लागत से माईनर एरिगेशन विभाग से स्वीकृत हुआ है। इसके लिये बागुन कोचा नाला पर चेकडैम का अधूरा निर्माण, बिनुआ में काफी कम गड्ढा वाला दो बड़ा अधूरा तालाब, एक तालाब में अधूरा कंक्रीट-सीमेंट का बड़ा पानी का टंकी, अंकुआ में एक अधूरा तालाब का निर्माण के अलावे कुछ स्थानों पर गड्ढा खोद प्लास्टिक का मोटा पाइप डाला गया था। जितना पाइप बिछाया गया था, उसमें कुछ स्थानों पर आग लगने से पाइप जल गया और कुछ पाइप पानी की बहाव में उखड़कर जहां-तहां बिखरा पड़ा है। अब तक इतना ही कार्य हुआ है और ठेकेदार फरार हैं। किसी भी गांव में एक बूंद पानी नहीं पहुंचा है।

इस योजना हेतु बिनुआ गांव में पहला तालाब निर्माण हेतु लोबो चेरवा, जोंको बोयपाई एवं चन्द्रमोहन चेरवा, दूसरा तालाब हेतु चुम्बरु चेरवा एवं चन्द्रमोहन चेरवा तथा अंकुआ स्थित तीसरा तालाब हेतु स्व. सदानंद सोय की दर्जनों एकड़ रैयत भूमि बिना मुआवजा के लिया गया। इनकी जमीन पर लगभग तीन फीट गड्ढा जेसीबी से खोदकर उसी का मिट्टी निकाल चारों तरफ मेड़ बना तालाब का रूप दे दिया गया, जबकि तालाब की गहराई कम से कम 10 फीट गहरा खोदा जाना चाहिए था।

जमीन मालिक चन्द्रमोहन चेरवा ने बताया कि तालाब गहरा खोदा गया होता तो हम कम से कम उसमें मछली पालन कर रोजगार प्राप्त कर सकते थे, लेकिन अब हमारी यह जमीन न हमारे किसी काम आया और न ही उक्त योजना से समस्त ग्रामीणों के काम आया। पूरे कार्य योजना क्षेत्र में पड़ताल की तो पाया की कहीं भी इस योजना से संबंधित कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिससे यह जानकारी मिल सके कि यह योजना किस वित्त वर्ष में प्रारम्भ हुआ, कार्य कब खत्म होगा, किस विभाग से बनाया जा रहा है, इसका उद्देश्य क्या है, कितने की प्राक्कलन राशि इस योजना पर खर्च होनी थी, किन-किन गांवों में योजना का पानी पहुंचाया जाना था, कितनी दूर तक पानी पाइप लाइन बिछाया जाना था, आदि अनेक सवाल का जबाब न तो हमें मिल पाया और न ही ग्रामीणों के पास था। ग्रामीणों द्वारा इस कार्य को कराने वाले जमशेदपुर के एक ठेकेदार पांडेय के दिये गये नम्बर पर सम्पर्क किया गया तो उसने फोन नहीं उठाया। इससे इस योजना व इसमें हुई भ्रष्टाचार की जानकारी नहीं मिल सकी।

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