Regional

गुवा से माता कामाख्या के दर्शन हेतु एक टीम गुवाहाटी पहुंची

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड।पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित गुवा से कामाख्या असम राज्य स्थित माता कामाख्या के दर्शन हेतु दर्शन हेतु एक टीम नव वर्ष 2025 के अवसर पर गुवाहाटी पहुंची । टीम का नेतृत्व कर युवकों ने माता के दर्शन करीब 5 घंटे के लगातार लाइन में लग कर की । इसमें गुवा न्यू कालोनी के सिद्धार्थ पाण्डेय, सूरज पाण्डेय,गंगाराम हेम्ब्रहम,

संगीता पाण्डेय, एस के पाण्डेय व अन्य कई शामिल दिखे। इस अवसर पर गुवाहाटी से टीम की अगुआई कर रहे अभियंता अनुपम कुमार, कौशलेन्द्र पाण्डेय,सोनी पाण्डेय मयंक पाण्डेय एवं काव्या पाण्डेय भी टीम में शामिल दिखे । इस अवसर पर कौशलेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि धार्मिक मान्यता के मुताबिक माता सती का स्थान कामाख्या पावन स्थल के रूप में स्थापित किया है।मान्यता है कि इस मंदिर में तांत्रिक अपनी सिद्धियों को सिद्ध करने के लिए आते हैं ।मान्यता है कि मां कामाख्या की महिमा से ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है । कहा जाता व माना गया है कि धर्म पुराणों के अनुसार विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे। जहां-जहां यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बन गया। इस कामाख्या एक शक्तिशाली पीठ है।जो भक्त अपने जीवन में तीन बार कामाख्या मंदिर के दर्शन करते हैं, उन्हें सांसारिक भव बंधन से मुक्ति मिलती है।

इसके पश्चात सबों ने उमानंद मंदिर के भी दर्शन किए।इस मंदिर तक पहुँचने का एकमात्र तरीका उमानंद घाट पर उपलब्ध नौकाओं और मोटर लॉन्च पर चढ़ना है। इसे फेरा के नाम से जाना जाता है।

मंदिर तक पहुँचने के लिए 100 सीढ़ियों की एक छोटी सी चढ़ाई है। महा शिवरात्रि उक्त इस मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है, जो बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। सच्चाई यह है उक्त दोनो मंदिरो

का एक के बाद दूसरे का दर्शन करना अनिवार्य बताया जाता है। कामाख्या मंदिर में माता कामाख्या के दर्शन के बाद उमानंदा मंदिर मे भगवान शिव शंकर, उमानंद के चमत्कारिक रूप का दर्शन अवश्य करना चाहिए ।

साक्षात शक्ति पीठ के रूप में उक्त दोनों मंदिर से मानव पूरी से कष्ट मुक्त हो कत्याणकारी शक्ति को प्राप्त कर लेता है।

Related Posts