पाकिस्तान में टीटीपी आतंकियों ने 16 परमाणु वैज्ञानिकों का अपहरण कर बढ़ाया दुनिया का खतरा
न्यूज़ लहर संवाददाता
इस्लामाबाद:पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम एक बार फिर गंभीर खतरे में पड़ गया है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकियों ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से 16 पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिकों और कर्मचारियों का अपहरण कर लिया है। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि इनमें से आठ लोगों को रिहा कराया गया है, लेकिन यह घटना सुरक्षा और वैश्विक शांति के लिहाज से एक बड़ी चेतावनी है।
टीटीपी का दावा और पाकिस्तानी सेना का जवाब
टीटीपी ने पहचान पत्र जारी कर यह पुष्टि की है कि अपहृत कर्मचारी पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग में काम करते हैं। आतंकियों ने उनकी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया और दावा किया कि उन्होंने यूरेनियम की भी लूट की है। हालांकि, पाकिस्तानी सेना इन कर्मचारियों को आम कर्मचारी बता रही है।
डर्टी बम बनाने की साजिश
टीटीपी का दावा है कि उनके हाथ बड़ी मात्रा में यूरेनियम लगा है, जिसका उपयोग आतंकी संगठन डर्टी बम बनाने में कर सकते हैं। अगर यह दावा सही हुआ तो यह पूरी दुनिया के लिए गंभीर खतरा है। इन वैज्ञानिकों को पाकिस्तान की काबुल खेल यूरेनियम खदान से अपहरण किया गया है।
आतंकी हमलों के बीच बलूच विद्रोह
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के अलावा बलूचिस्तान में भी विद्रोह तेज हो गया है। बलूच विद्रोहियों ने सरकारी कार्यालयों पर कब्जा कर लिया है। दूसरी ओर, टीटीपी ने चेतावनी दी है कि अगर उनके मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वह पाकिस्तानी सेना के प्रतिष्ठानों को निशाना बनाएंगे।
पाकिस्तानी सेना और टीटीपी के बीच तनाव
अफगान तालिबान की सरकार बनने के बाद टीटीपी का प्रभाव बढ़ा है। हाल ही में पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान में टीटीपी ठिकानों पर हमला किया था, जिसके जवाब में आतंकियों ने कई सैनिकों को मारने का दावा किया। टीटीपी लंबे समय से पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करना चाहती है और उसके निशाने पर पाकिस्तानी परमाणु बम हैं।
अमेरिका और वैश्विक चिंता
पाकिस्तान के पास वर्तमान में 170 परमाणु बम हैं, और वह इसे 200 तक बढ़ाने की योजना बना रहा है। टीटीपी के परमाणु कार्यक्रम पर बढ़ते खतरे ने अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आतंकियों के हाथ परमाणु तकनीक लगी, तो इसका अंजाम भयावह हो सकता है।
पाकिस्तान के इस घटनाक्रम ने दुनिया को चेतावनी दी है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को तेज करने की आवश्यकता है।