भारत का बड़ा कदम अब इंडोनेशिया को देगा ब्रह्मोस मिसाइल
न्यूज़ लहर संवाददाता
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बने हुए चुनौतीपूर्ण सुरक्षा हालात के बीच भारत की कोशिश एक ओर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के जरिए अपनी सभी घरेलू जरूरतों को पूरा करने की है। वहीं, दूसरी ओर वह निर्यात के जरिए स्वदेश में बनाए गए सैन्य हथियारों को तेजी के साथ दुनिया के दूसरे देशों को देने का इच्छुक है। जिससे उनकी सामरिक क्षमता को भी मजबूती प्रदान की जा सके। इसी क्रम में भारत, इंडोनेशिया को ध्वनि की गति से भी अधिक तेजी से मार करने में सक्षम ‘सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल’ देगा। रक्षा सूत्रों ने बताया यह समूची कवायद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने वाले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो की भारत यात्रा से ठीक पहले हो रही है।
इसे देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच ब्रह्मोस मिसाइल समझौते समझौते की घोषणा इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की भारत यात्रा से ऐन पहले या उसके साथ भी की जा सकती है। गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के बाद भारत और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के बीच राजधानी में एक द्विपक्षीय बैठक होना तय है। यहां बता दें कि भारत की तीनों सशस्त्र सेनाएं वर्ष 2006 से (सेना, वायुसेना और नौसेना) ब्रह्मोस मिसाइल के विभिन्न संस्करणों का प्रयोग कर रही हैं।
भारत और इंडोनेशिया के बीच ब्रह्मोस मिसाइल के मामले पर चर्चा की शुरुआत पिछले दिसंबर महीने में नौसेनाप्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी की इंडोनेशिया की यात्रा के दौरान हुई थी। वहीं, इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रालय ने राजधानी जकार्ता में मौजूद भारतीय दूतावास को ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद को लेकर लगभग 450 मिलियन डॉलर के समझौते से जुड़ा हुआ एक पत्र भी सौंपा है। उधर, भारत ने इंडोनेशिया से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) या किसी अन्य भारतीय राष्ट्रीय बैंक के जरिए समझौते से जुड़ी उक्त धनराशिको ऋण (लोन) पर लेने के पेशकश की है। जबकि इसके पूर्व में एक्जिम बैंक (आयात-निर्यात बैंक) द्वारा इंडोनेशिया के ऋण से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा करने का निर्णय लिया गया था। लेकिन
यह हो नहीं सका। भारत ने सबसे पहले अपने देश के बाहर
वर्ष 2022 में फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल (290 किलोमीटर की मारक क्षमता) दी थी। इसके लिए दोनों देशों के बीच कुल करीव 374.96 मिलियन डॉलर का एक समझौता हुआ था। जिसमें तट आधारित युद्धपोत रोधी मिसाइल सिस्टम दिया गया था। समझौते में हालांकि मिसाइल की तीन बैटरियां भी शामिल थी। जिसे भारत ने फिलीपींस को सौंपा था। अब इंडोनेशिया दुनिया का दूसरा ऐसा देश होगा जिसे भारत द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल दी जाएगी। यहां गौर करने वाली बात यह है कि फिलीपींस और इंडोनेशिया दोनों ही दस सदस्यीय आसियान समूह में शामिल देश हैं। जिन्हें भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल दी है। इन दोनों के अलावा भारत और वियतनाम के बीच भी ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर चर्चा जारी है। मूलरूप से यह मिसाइल वर्ष 1998 में भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई ब्रह्मोस परियोजना के तहत विकसित की गई थी। इसके निर्माण में भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस का एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया शामिल हैं। मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम पर ब्रह्मोस रखा गया है।