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मकर संक्रांति पर क्यों उड़ाई जाती पतंग, जानें प्रभु श्रीराम से क्या हैं इसका कनेक्शन?

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली: आज, 14 जनवरी को देशभर में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व सनातन धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो अलग-अलग राज्यों में अपनी स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से स्नान और दान का महत्व होता है। इसके अलावा, इस दिन लोग पूरे देश में पतंग उड़ाने की परंपरा निभाते हैं, जिसे पतंग पर्व भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत कैसे हुई? आइए, जानें इसके पीछे का दिलचस्प इतिहास।

मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा

धार्मिक दृष्टिकोण

मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा का एक धार्मिक कारण भी है। तमिल काव्य “तन्नाना रामायण” के अनुसार, भगवान श्रीराम ने मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाई थी, जो इंद्रलोक तक पहुंची। यही कारण है कि इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।

 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक दृष्टि से भी मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस दिन सूर्य की किरणें शरीर के लिए अमृत समान मानी जाती हैं, जो कई रोगों को दूर करने में सहायक होती हैं। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने से सूर्य की किरणों को अधिक मात्रा में ग्रहण किया जाता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और विटामिन डी की कमी पूरी होती है।

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खुशी और शुभता का प्रतीक

इसके अतिरिक्त, पतंग को खुशी, आज़ादी और शुभता का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन लोग पतंग उड़ाकर एक-दूसरे को सुख, समृद्धि और खुशी का संदेश भेजते हैं।

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