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महिला कॉलेज चाईबासा में ‘सिंहभूम का इतिहास’ पुस्तक का विमोचन, ऐतिहासिक महत्व को उजागर करती रचना”* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: महिला कॉलेज चाईबासा के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. ललिता सुण्डी ने अपनी रचनात्मकता और शोध की नज़रों से सिंहभूम के ऐतिहासिक पहलुओं को प्रस्तुत करते हुए ‘सिंहभूम का इतिहास’ नामक पुस्तक का लेखन किया है। इस पुस्तक में उन्होंने सिंहभूम के प्राचीन से पूर्व औपनिवेशिक काल तक के इतिहास को बारीकी से संकलित किया है, जिससे जन-जन को इस क्षेत्र की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से रूबरू कराया जा सके।

पुस्तक का विमोचन कोल्हान यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में हुआ, जिसमें प्रमुख अतिथियों के रूप में कोल्हान प्रमंडल के आयुक्त एवं विश्वविद्यालय के कुलपति हरि कुमार केसरी, कुलसचिव डॉ. परशुराम सियाल, विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार, महिला कॉलेज की प्राचार्या डॉ. प्रीतिबाला सिन्हा, डॉ. चितरंजन पति, आसरा संस्था के निदेशक शिवकर पूर्ति और लेखिका की माता मालती सुंडी ने विमोचन किया।

डॉ. ललिता सुण्डी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय संत जेवियर्स बालिका उच्च विद्यालय से प्राप्त की, और फिर ओडिशा के प्रतिष्ठित उत्कल विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा के साथ इतिहास में विशेष रुचि विकसित की। रांची विश्वविद्यालय से ‘सिंहभूम की मानकी-मुंडा व्यवस्था: एक ऐतिहासिक अध्ययन’ पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के बाद, उनका रुझान सिंहभूम के इतिहास को व्यापक दृष्टिकोण से समझने की ओर बढ़ा, जिससे उन्हें ‘सिंहभूम का इतिहास’ पुस्तक लिखने की प्रेरणा मिली।

 

पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि आयुक्त एवं कुलपति हरि कुमार केसरी ने डॉ. ललिता सुण्डी की इस पुस्तक को सराहते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक कार्य आदिवासी समाज की संस्कृति और इतिहास को समझने में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ का कार्य करेगी। कुलसचिव डॉ. परशुराम सियाल ने भी इस पुस्तक को शोधार्थियों के लिए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण सहायक सामग्री बताया।

भारत सरकार के पूर्व श्रमायुक्त ज्ञान सिंह दोराईबुरु ने पुस्तक में आदिवासी दृष्टिकोण को पूरी तरह से दर्शाए जाने की सराहना की और उम्मीद जताई कि इस तरह की लेखिकाएं और भी आएंगी। महिला कॉलेज की प्राचार्या डॉ. प्रीतिबाला सिन्हा ने डॉ. ललिता को विश्वविद्यालय का गर्व बताते हुए कहा कि लेखिका अब सिर्फ शिक्षिका नहीं रही, बल्कि वे एक प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं।

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कोल्हान विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार, आसरा संस्था के निदेशक शिवकर पूर्ति समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में डॉ. अमृता जयसवाल ने पुस्तक के परिचय पर प्रकाश डाला और वीडियो प्रस्तुतीकरण के माध्यम से पुस्तक पर परिचर्चा की गई। लेखिका डॉ. ललिता सुण्डी ने पीपीटी के माध्यम से पुस्तक के बारे में व्याख्यान दिया।

 

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर की गई और सभी आगंतुकों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। इस मौके पर पौधे और बुके देकर अतिथियों को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में टाटा कॉलेज की पूर्व प्राचार्या कस्तूरी बोयपाई, पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू, सन्नी सिंकू, विकास दोदराजका, खान निदेशालय के पूर्व अधिकारी सिंगा तियू, केएमपीएस अध्यक्ष चंद्रमोहन बिरुवा, साहित्यकार डोबरो बुड़ीउली, बामिया बारी, घनश्याम गागराई, शिवशंकर कांडेयांग, नरेश देवगम, गीता बिरुवा, कृष्णा देवगम, विमल किशोर बोयपाई, प्रो. मीनाक्षी मुंडा, बीएड के प्राध्यापक मुबारक करीम हासमी, सितेन्द्र रंजन सिंह, साहित्यकार तिलक बारी, बागुन बोदरा, मतकमहातु पंचायत मुखिया जुलियाना देवगम, नीमडीह के मुखिया सुमित्रा देवगम समेत सैकड़ों साहित्य प्रेमी, प्रबुद्ध नागरिक और कोल्हान विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

 

कार्यक्रम का संचालन डॉ. अर्पित सुमन टोप्पो ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सोनामाई सुण्डी ने किया।

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