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चार श्रम संहिताओं के खिलाफ कोल्हान में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का विरोध प्रदर्शन

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड।जमशेदपुर में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित चार श्रम संहिताओं को लागू करने की पहल के खिलाफ बुधवार को देशभर में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसी क्रम में जमशेदपुर के साकची स्थित बिरसा चौक पर भी विभिन्न ट्रेड यूनियनों के कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया। विरोध स्वरूप नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया, जिसके बाद श्रम संहिताओं और केंद्रीय बजट प्रस्ताव का पुतला दहन किया गया।

वक्ताओं ने सरकार की नीतियों को बताया मजदूर-विरोधी

 

सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने एक स्वर में सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मौजूदा बजट प्रस्ताव आम आदमी के साथ विश्वासघात करने वाला और राष्ट्रीय संपत्तियों को निजी कंपनियों को सौंपने का एक खाका मात्र है। वक्ताओं ने चारों श्रम संहिताओं को श्रमिकों के अधिकारों के खिलाफ बताया और कहा कि यदि इनका क्रियान्वयन किया गया तो देशभर के उद्योगों और अन्य क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिक अखिल भारतीय हड़ताल पर जाएंगे।

 

सभा को बिनोद राय, अंबुज ठाकुर, बिश्वजीत देब, आर. एस. राय, परविंदर सिंह, हीरा अरकाने, संजय कुमार, के. डी. प्रताप, धनंजय शुक्ला, नागराजू, मनोज सिंह, एन. एन. पॉल, विक्रम कुमार, पी. आर. गुप्ता, लिली दास, विष्णु गिरी, सुमित राय, सुब्रत बिस्वास सहित अन्य नेताओं ने संबोधित किया।

 

बजट प्रस्तावों की कड़ी निंदा, निजीकरण पर सवाल

 

वक्ताओं ने कहा कि बजट में कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए परमाणु ऊर्जा और कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में निजी कंपनियों को प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। वहीं, बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई के साथ खनन, बिजली और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के नाम पर कॉरपोरेट जगत को लाभ पहुंचाने के लिए श्रमिकों के हितों की अनदेखी की जा रही है।

मजदूरों और आम जनता के लिए राहत नदारद

 

प्रदर्शनकारियों ने बजट प्रस्तावों में मजदूरों और आम जनता की जरूरतों को पूरी तरह नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के लिए वैधानिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), शहरी रोजगार गारंटी योजना, सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्र में रोजगार सृजन, असंगठित एवं ठेका श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और पेंशन में बढ़ोतरी जैसी मांगों को नजरअंदाज कर दिया है।

 

इसके अलावा, पेट्रोलियम उत्पाद शुल्क में कटौती और आवश्यक खाद्य वस्तुओं, दवाओं, चिकित्सा उपकरणों तथा स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी हटाने जैसी मांगों पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार वेतनभोगी वर्ग को आयकर में मामूली राहत देने का दिखावा कर रही है, जबकि सामाजिक कल्याण योजनाओं के बजट में कटौती कर इस राहत की भरपाई की जा रही है।

 

अखिल भारतीय स्तर पर संघर्ष की तैयारी की अपील

 

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के कोल्हान क्षेत्रीय मंच ने सभी मजदूरों, कर्मचारियों और आम जनता से अपील की कि वे इस जनविरोधी और मजदूर-विरोधी नीतियों का विरोध करें। उन्होंने कहा कि चारों श्रम संहिताओं के क्रियान्वयन को रोकने के लिए एक निर्णायक संघर्ष आवश्यक है। यदि सरकार ने श्रम संहिताओं को लागू करने की घोषणा की, तो देशभर के मजदूर संगठन एकजुट होकर अखिल भारतीय हड़ताल करेंगे।

 

विरोध प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में मजदूर और कर्मचारी शामिल हुए और सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की। अंत में, सभा के आयोजकों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने श्रम संहिताओं को लागू करने की प्रक्रिया जारी रखी, तो इसका व्यापक स्तर पर विरोध किया जाएगा।

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