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विपक्ष के 26 दलों के गठबंधन का नाम INDIA तय किया गया, भाजपा को हराने का बना रणनीति

न्यूज़ लहर संवाददाता
कर्नाटक:राजधानी बेंगलुरु में विपक्षी एकता की दूसरे दिन की बैठक बेंगलुरु में खत्म हो गई है। 2024 के आम चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्ष के 26 दल एक साथ आए हैं। बैठक में विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम INDIA तय किया गया है। इसका फुल फॉर्म इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलाइंस है।
इसका ऐलान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। उन्होंने कहा- समन्वय के लिए 11 सदस्यों की कमेटी बनाने और एक कार्यालय जल्द बनाया जाएगा। इसकी घोषणा मुंबई में होने वाली हमारी अगली बैठक में होगी।
खड़गे ने कहा- भाजपा ने लोकतंत्र की सभी एजेंसियों ED, CBI आदि को नष्ट कर दिया है। हमारे बीच राजनीतिक भेद हैं, लेकिन हम देश को बचाने के लिए साथ आए हैं।
इससे पहले हम पटना में मिले थे, जहां 16 पार्टियां मौजूद थीं। आज की बैठक में 26 पार्टियों ने हिस्सा लिया। यह देखकर NDA 36 पार्टियों के साथ बैठक कर रहे हैं। मुझे नहीं पता वो कौन सी पार्टियां हैं। वे रजिस्टर्ड भी हैं या नहीं?
ऐसा पहले कभी नहीं देखा था कि मीडिया हमारे खिलाफ इतनी शत्रुतापूर्ण है।आज हम यहां अपने हित के लिए नहीं बल्कि देश को बचाने के लिए एकत्र हुए हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम सरकार की नाकामियों को उजाकर करेंगे। मैं खुश हूं कि राहुल, ममता सब सहमत हैं। 2024 में साथ लड़ेंगे और ग्रेट रिजल्ट लाएंगे।
गठबंधन को लीड कौन करेगा, फेस कौन होगा। इस सवाल के जवाब में खड़गे बोले- हम कोऑर्डिनेशन कमेटी बना रहे हैं। मुंबई की बैठक में ये 11 नाम तय होंगे। आगे की जानकारी तभी मिलेगी।
खड़गे के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी बोलीं। उन्होंने कहा- देश में दलित, हिंदू, मुस्लिम हर किसी की जिंदगी खतरे में है। दिल्ली, बंगाल, मणिपुर हो, सरकार बेचना, सरकार खरीदना यही काम सरकार का है। हमारे गठबंधन का नाम इंडिया है, बीजेपी क्या तुम इंडिया को चैलेंज करोगे?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा- 9 साल में केंद्र सरकार ने हर सेक्टर को बर्बाद कर दिया है। इन्होंने एयरपोर्ट, जहाज, आसमान, धरती, पाताल सब बेंच दिया। इनकी सरकार से किसान, व्यापारी हर वर्ग दुखी है। देश में जिस तरह नफरत फैलाई जा रही है, उससे देश को बचाने के लिए हम इकट्‌ठे हुए हैं।
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे बॉलीवुड अंदाज में बोले। उन्होंने कहा- हम देश को बताने आए हैं कि मैं हूं ना। देश हमारा परिवार है। हम अपने परिवार को बचाने एकत्र हुए हैं।
राहुल गांधी ने कहा- आज देश की आवाज को दबाया जा रहा है। INDIA नाम इसीलिए चुना गया, क्योंकि लड़ाई NDA और इंडिया के बीच है, मोदी और इंडिया के बीच में है। आपको पता है कि जब कोई इंडिया के खिलाफ खड़ा होता है तो जीत किसकी होगी।
भारत के विचार पर हमला हो रहा है, ये हमला बीजेपी कर रही है। बेरोजगारी बढ़ रही है, अरबपतियों का फायदा हो रहा है, जो मोदी के करीबी हैं।
RJD और TMC ने पहले कर दिया था नए नाम का ऐलान:
इससे पहले बैठक में शामिल राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट किया कि विपक्षी दलों का गठबंधन भारत का प्रतिबिंब है। RJD ने इसके साथ लिखा- अब प्रधानमंत्री मोदी को इंडिया कहने में भी पीड़ा होगी।
TMC सांसद ने भी ट्वीट किया- चक दे इंडिया। वहीं कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लिखा- इंडिया जीतेगी।
8 नए दलों को मिलाकर 26 पार्टियों के नेता आए:
इस बार विपक्षी कुनबे को और मजबूत करने के लिए 8 और दलों को न्योता भेजा गया है। इनमें ​​​​मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), कोंगु देसा मक्कल काची (KDMK), विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) ने हामी भरी है। इन नई पार्टियों में से KDMK और MDMK 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान BJP के साथ थीं।
पिछली बैठक में शामिल हुए थे 17 विपक्षी दल:
पहली बैठक में जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), आम आदमी पार्टी (AAP), द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK), तृणमूल कांग्रेस (TMC), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सिस्ट CPM, CPI (ML), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), सपा, JMM और NCP शामिल हुए थे।

पहली बार 1977 में विपक्षी नेता एक साथ आए, गठबंधन से बनी थी सरकार:
देश में इमरजेंसी के बाद पहली बार 1977 में विपक्षी नेता एक साथ आए थे। तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था। तब कई दल एक साथ आए थे। जयप्रकाश नारायण की पहल पर जनता पार्टी का गठन हुआ। जनता पार्टी ने चुनाव जीतकर सरकार भी बनाई, लेकिन उस चुनाव में भी प्रधानमंत्री पद के लिए किसी को चेहरा नहीं बनाया गया था।
इसके बाद जनता पार्टी ने अलग-अलग दलों के समर्थन से 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई। तब भी PM के लिए कोई चेहरा आगे नहीं किया गया था। फिर 1996 में भाजपा ने अटल बिहारी बाजपेयी को चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ा और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। इसके साथ फिर PM फेस पर चुनाव लड़ने की परंपरा भी शुरू हो गई। 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर बिना चेहरे के चुनाव लड़ा था, तब UPA में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे।

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