Crime

पति और उसके परिवार को परेशान करने के लिए दहेज प्रावधान का हो रहा दुरुपयोग: दिल्ली हाईकोर्ट

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने वैवाहिक केस में पति सहित पूरे – परिवार को फंसाने के मामले में अहम टिप्पणी की है। अदालत का कहना है कि कोर्ट ने ‘कई मामलों में वैवाहिक मुकदमेबाजी में पति और उसके परिवार को फंसाने की बढ़ती प्रवृत्ति’ देखी है। जस्टिस अमित महाजन ने 2017 – में दिल्ली छावनी पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एक महिला से दहेज की मांग की गई है। उसके पूर्व पति और उसके परिवार द्वारा महिला को परेशान किया जा रहा है। जस्टिस महाजन ने इस बात पर गौर किया कि कपल के अलग रहने और तलाक की अर्जी दाखिल करने के तीन साल से ज्यादा समय बाद एफआ-ईआर दर्ज की गई थी।

अदालत ने यह भी माना कि बिना किसी विशेष जानकारी के यह आरोप लगाए गए हैं। तलाक का आदेश 2019 में दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि धारा 498ए का प्रयोग पति और उसके परिवार को प्रताड़ित करने के लिए हो रहा है। जस्टिस महाजन ने सात फरवरी के के आदेश में कहा, ‘आईपीसी की धारा 498ए का प्रावधान विवाहित महिलाओं को होने वाले उत्पीड़न से बचाने के मकसद से बनाया गया था।

लेकिन, यह देखना दुखद है कि – अब इसका दुरुपयोग पति और उसके परिवार के सदस्यों – को परेशान करने और फायदा उठाने के लिए भी किया जा रहा है। ऐसे मामले अब वकील की सलाह पर असल घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर और गलत तरीके से पेश कर-के दायर किए जाते हैं। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है

कि उत्पीड़न के वास्तविक मामले मौजूद नहीं हैं। हाईकोर्ट जस्टिस ने कहा, ‘यह अदालत दहेज के लालच की बहरी जड़ें जमा चुकी सामाजिक बुराई की जमीनी हकीकत से अनजान नहीं है, जिसके कारण कई पीड़ितों को अमानवीय व्यवहार और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। हालांकि, इस तरह के मामलों में जहां याचिकाकर्ता के खिलाफ अस्पष्ट और बहुत देर से, आरोप लगाए गए हैं। अदालत की राय में, कार्यवाही जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

Related Posts