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रांची सिविल कोर्ट के वकीलों ने अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2025 के खिलाफ किया प्रदर्शन

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

रांची: अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2025 का विरोध करते हुए रांची सिविल कोर्ट के वकीलों ने शुक्रवार को सड़क पर उतरकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। रांची जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शंभु अग्रवाल और महासचिव संजय विद्रोही के नेतृत्व में वकीलों ने नए बार भवन परिसर से अल्बर्ट एक्का चौक तक मार्च निकालकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं।

बार के महासचिव संजय विद्रोही ने विस्तार से बताया कि इस विधेयक के कुछ प्रावधान वकीलों के लिए अत्यधिक कठोर और अनुचित हैं। उन्होंने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य बार काउंसिल के पुनर्गठन के साथ-साथ चुनाव प्रक्रिया में बदलाव किया गया है, जिससे वकीलों की स्वायत्तता प्रभावित होगी।

इसके अलावा, हड़ताल और न्यायालय बहिष्कार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे यदि कोई अधिवक्ता ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान होगा।

 

विधेयक में अधिवक्ताओं द्वारा किसी भी लापरवाही या कदाचार के कारण मुवक्किल को हुए नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, गलत कानूनी सलाह देने या वकालत के दुरुपयोग की स्थिति में मुवक्किल को हर्जाना पाने का अधिकार भी दिया गया है। अधिवक्ताओं के लिए पेशेवर विकास शुल्क को अनिवार्य किया गया है और प्रत्येक पांच साल में उनके सत्यापन की प्रक्रिया लागू करने का प्रस्ताव है।

 

प्रस्तावित संशोधनों में विदेशी कानून फर्मों के लिए पंजीकरण और विनियमन की व्यवस्था की गई है, जिससे भारतीय अधिवक्ताओं को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, आपराधिक मामलों में दोषी अधिवक्ताओं को चुनाव लड़ने से रोकने और सक्रिय रूप से वकालत नहीं कर रहे अधिवक्ताओं के मतदान अधिकार समाप्त करने का प्रावधान किया गया है।

इस विधेयक में केंद्र सरकार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देने का अधिकार भी दिया गया है, जिससे वकीलों को अपने अधिकारों पर नियंत्रण की आशंका है। वकीलों ने इन सभी प्रावधानों को गैर-लोकतांत्रिक बताते हुए सरकार से विधेयक में संशोधन की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि उनकी बात नहीं सुनी गई, तो वे अपने विरोध को और तेज करेंगे।

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