तेलंगाना सुरंग हादसा में कुल आठ लोग फंसे है जिनमें झारखंड के गुमला जिला के चार श्रमिक शामिल है,मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन वहां चलाये जा रहे अभियान की पल पल की रिपोर्ट ले रहे हैं”*
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न्यूज़ लहर संवाददाता
तेलांगाना: श्रीशैलम सुरंग नहर दुर्घटना में 50 घंटे के बाद भी सुरंग मे फंसे आठ श्रमिक का कोई अता-पता नही मिल रहा है।राहत और बचाव अभियान मे लगे दल के सदस्य अब निराश और हताश हो रहे है।यह आशंका है कि श्रमिक सुरंग के कीचड़ पानी मे फंसे हो सकते है। आज
तेलंगाना के मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने कहा कि दो दिन पहले श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग के निर्माणाधीन खंड के आंशिक रूप से ढहने के बाद उसमें फंस गए आठ लोगों के बचने की संभावना अब ‘बहुत कम’ है, हालांकि उन तक पहुंचने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि 2023 में उत्तराखंड में ‘सिल्कयारा बेंड-बरकोट’ सुरंग में फंसे निर्माण श्रमिकों को बचाने वाले ‘रैट माइनर्स’ (हाथ से पर्वतीय क्षेत्रों की खुदाई करने में महारत रखने वाले व्यक्ति) की एक टीम लोगों को निकालने के लिए बचाव दल में शामिल हो गई है। मंत्री ने कहा कि फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है जिससे बचाव दल के लिए यह एक मुश्किल काम बन गया है।
उन्होंने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो उनके बचने की संभावना बहुत, बहुत, बहुत, बहुत कम है क्योंकि मैं खुद उस आखिर छोर तक गया था जो (दुर्घटना स्थल से) लगभग 50 मीटर दूर था। जब हमने तस्वीरें लीं तो (सुरंग का) अंत दिखाई दे रहा था और नौ मीटर के व्यास वाली सुरंग में लगभग 30 फुट में से 25 फुट तक कीचड़ जमा हो गया है।
उन्होंने कहा कि जब हमने उनके नाम पुकारे, तो कोई जवाब नहीं मिला ,इससे यह आशंका बन रही है कि शायद वो कीचड़ या पानी मे फंसे हो।
संभावना नहीं दिखती है। इस सुरंग में पिछले 55 घंटों से फंसे लोगों की पहचान उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार और श्री निवास, जम्मू कश्मीर के सनी सिंह, पंजाब के गुरप्रीत सिंह और झारखंड के संदीप साहू, जेगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू के रूप में हुई है.
इन आठ लोगों में से दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और चार मजदूर हैं। कृष्ण राव ने कहा कि कई मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम जारी है। राव के अनुसार, सुरंग खोदने वाली मशीन (टीबीएम) का वजन कुछ सौ टन है, लेकिन सुरंग ढहने के बाद और पानी के तेज बहाव के कारण मशीन लगभग 200 मीटर तक बह गई।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति और पानी निकालने का काम लगातार किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर फंसे हुए लोगों के बचने की संभावना को लेकर निराशा जताते हुए कहा कि अगर यह मान लें कि वे (फंसे हुए लोग) टीबीएम मशीन के निचले हिस्से में हैं, यह भी मान लें कि वह मशीन ऊपर है, तो हवा (ऑक्सीजन) कहां है? नीचे, ऑक्सीजन कैसे जाएगी?
सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी के साथ बचाव अभियान की देखरेख करने वाले राव ने कहा कि सभी प्रकार के प्रयासों, सभी प्रकार के संगठनों (काम करने) के बावजूद, मलबा और अवराधकों को हटाने में, मुझे लगता है कि लोगों को निकालने में तीन-चार दिन से कम समय नहीं लगेगा। राव ने कहा कि मलबे को हटाने के लिए सुरंग में ‘कन्वेयर बेल्ट’ को बहाल किया जा रहा है।
भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में एसएलबीसी परियोजना में शनिवार को सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद सुरंग के अंदर 48 घंटे से अधिक समय से फंसे आठ लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान में अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।
तेलंगाना में शनिवार को श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन खंड की छत का एक हिस्सा ढह जाने से करीब 14 किलोमीटर अंदर जिस जगह आठ लोग फंस गए थे, बचाव दल के कर्मी उसके नजदीक पहुंच गये हैं। एक अधिकारी ने समाचार पत्र को यह जानकारी दी। नागरकुरनूल के जिला कलेक्टर बी. संतोष ने भी रविवार को बताया कि आगे बढ़ते हुए बचाव दल के कर्मी उस स्थान पर पहुंच गये जहां घटना के दौरान सुरंग खोदने वाली मशीन (टीबीएम) काम कर रही थी।
उन्होंने कहा कि हालांकि, गाद के कारण आगे बढ़ना एक चुनौती है। बचाव अभियान की निगरानी कर रहे कलेक्टर ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की चार टीमें (एक हैदराबाद से और तीन विजयवाड़ा से) जिनमें 138 सदस्य हैं, सेना के 24 कर्मी, एसडीआरएफ के कर्मी, एससीसीएल के 23 सदस्य उपकरणों के साथ बचाव अभियान में लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सुरंग में ऑक्सीजन और बिजली की आपूर्ति उपलब्ध करा दी गई है तथा जल निकासी और गाद निकालने का कार्य भी चल रहा है। संतोष ने कहा कि अभी तक हमारा उनसे (फंसे हुए लोगों से) संपर्क नहीं हो पाया है ।बचावकर्मी अंदर जाकर देखेंगे और फिर हम कुछ बता पाएंगे ।एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने एक समाचार एजेन्सी को बताया कि कल रात एक टीम सुरंग के अंदर गई थी। वहां बहुत सारा मलबा है और टीबीएम भी क्षतिग्रस्त है और उसके हिस्से अंदर बिखरे पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि 13.5 किलोमीटर के बिंदु से ठीक पहले दो किलोमीटर पर जलभराव है ।पहले जल निकासी का काम पूरा करना होगा, जिससे उपकरण आगे तक पहुंच सकें। इसके बाद ही मलबा हटाने का काम शुरू हो सकता है। पानी निकालने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अतिरिक्त मोटरों का इस्तेमाल किया गया।
इधर झारखंड के गुमला सहित राजधानी मे भी लोगो के बीच श्रमिक की खैर खबर जानने के लिए लोगो को चिन्तित देखा जा रहा।मुख्य मंत्री अधिकारियों से पल पल की खबर ले रहे ।इधर श्रमिक के परिजन को भी पल पल की जानकारी दी जा रही है।अभी तक श्रमिक के सम्बन्ध मे कोई विशेष जानकारी नही प्राप्त हुई है।