बाबा नाम केवलम्” अखंड कीर्तन से जागृत हुआ आध्यात्मिक भाव
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न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:जमशेदपुर में आनंद मार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में टेल्को के कामधेनु अपार्टमेंट में तीन घंटे (एक प्रहर) और आदित्यपुर के आदित्य गार्डन में छह घंटे (दो प्रहर) का “बाबा नाम केवलम्” अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज में बढ़ते तामसिक और राजसिक प्रवृत्तियों को संतुलित कर आध्यात्मिक भाव को जागृत करना था।
कीर्तन का महत्व और प्रभाव
कीर्तन के दौरान सामूहिक रूप से गाए गए भक्ति गीतों ने वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया। उपस्थित साधकों और श्रद्धालुओं ने भक्ति रस में डूबकर ईश्वरीय अनुभूति प्राप्त की। आचार्य रामेंद्रनंद अवधूत एवं आचार्य नभतीतानंद अवधूत ने इस अवसर पर कहा कि “बाबा नाम केवलम्” कीर्तन एक अनन्य भाव का कीर्तन है, जो व्यक्ति को अशांति, तनाव और चिंता से मुक्त करता है। यह हमें ईश्वर के साथ गहरे संबंध स्थापित करने में मदद करता है और हमारे भीतर छिपी आंतरिक शक्ति को जागृत करता है।
उन्होंने बताया कि सामूहिक कीर्तन से न केवल शारीरिक ऊर्जा संगठित होती है, बल्कि मानसिक शक्ति भी एक भावधारा में प्रवाहित होने लगती है। इससे चारों ओर सकारात्मक और सात्विक ऊर्जा का संचार होता है, जो न केवल कीर्तन में भाग लेने वालों के आध्यात्मिक व मानसिक कल्याण में सहायक होता है, बल्कि आसपास रहने वाले लोगों को भी शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
कीर्तन से आत्मिक शुद्धि और मन का संयम
भक्ति, ध्यान और साधना के इस अद्वितीय माध्यम की महत्ता बताते हुए आचार्यों ने कहा कि कीर्तन आत्मा, मन और शरीर को संयमित करता है। यह इंद्रियों पर नियंत्रण करने और संसार के विषयों से वैराग्य की प्राप्ति करने में सहायक होता है। उन्होंने यह भी कहा कि कीर्तन व्यक्ति को आध्यात्मिक स्वतंत्रता का अनुभव कराता है और प्रेम, सहानुभूति, एकाग्रता की भावना विकसित करता है, जिससे जीवन सुखमय और समृद्ध बनता है।
समाज में प्रेम और सेवा का प्रसार
आचार्यों ने कीर्तन में आए हुए आदर्शवादियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह अभ्यास हमें समाज के बंधनों से मुक्त कर ईश्वर के प्रेम और आनंद में डूबने का अवसर देता है। यह हमें सेवा और प्रेम की भावना से प्रेरित करता है और समस्त सृष्टि के प्रति सामरस्य और सामंजस्य स्थापित करने में सहायता करता है।
“बाबा नाम केवलम्” कीर्तन के माध्यम से भक्तों ने अपने अंतरंग जगत को शुद्ध करने और ईश्वरीय प्रेम व आनंद का अनुभव करने का मार्ग अपनाया। यह आयोजन अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध हुआ और सभी ने इस पावन अवसर का लाभ उठाया।