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सीआईआई यंग इंडियंस और ईएमआरआई द्वारा “फ़रिश्ते” प्रशिक्षण कार्यक्रम, 55 पुलिसकर्मियों को जीवन रक्षा तकनीकों की ट्रेनिंग

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:जमशेदपुर में सड़क दुर्घटनाओं में त्वरित और प्रभावी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से, सीआईआई यंग इंडियंस के रोड सेफ्टी वर्टिकल ने ईएमआरआई के सहयोग से “फ़रिश्ते” प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित इस विशेष सत्र में 55 पुलिसकर्मियों को जीवन रक्षा तकनीकों और प्राथमिक चिकित्सा प्रतिक्रिया का प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण में शामिल प्रमुख विषय

 

ईएमआरआई प्रतिनिधि डॉ. पंकज और आकाश द्वारा संचालित इस प्रशिक्षण में पुलिसकर्मियों को आपातकालीन स्थितियों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित किया गया। उन्हें दुर्घटना पीड़ितों की सहायता करने, रक्तस्राव रोकने, नाड़ी जांच, रोगी प्रबंधन विधियों और चिकित्सा आपात स्थितियों की पहचान करने जैसी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।

गोल्डन ऑवर और प्लेटिनम पीरियड का महत्व

 

सीआईआई यंग इंडियंस ने इस कार्यक्रम के माध्यम से दुर्घटना के पहले 10 मिनट की “प्लेटिनम अवधि” और 60 मिनट के “गोल्डन ऑवर” के महत्व पर जोर दिया। यह अवधि जीवन बचाने के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण होती है।

व्यावहारिक प्रशिक्षण और परीक्षा

 

प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को पी.पी.पी सिद्धांत (जीवन रक्षा, शीघ्र स्वास्थ्य लाभ को बढ़ावा, स्थिति को बिगड़ने से रोकने) पर केंद्रित सत्र प्रदान किए गए।

इसके अलावा, एबीसीडीई दृष्टिकोण के तहत सीपीआर तकनीक और डीप रेस्पिरेटर मशीनों के कुशल उपयोग का भी अभ्यास कराया गया। सत्र के अंत में प्रतिभागियों की सीखने की क्षमता का परीक्षण भी किया गया।

 

तीन दिन में 250 से अधिक प्रशिक्षित

 

पिछले तीन दिनों में, कुल 5 ईएमआरआई सत्रों के माध्यम से 250 से अधिक प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य सड़क सुरक्षा के लिए एक प्रशिक्षित “फ़रिश्ते” कैडर तैयार करना है, जो दुर्घटनाओं के दौरान तत्काल सहायता प्रदान कर सके।

 

निष्कर्ष

 

“फ़रिश्ते” प्रशिक्षण कार्यक्रम एक अनूठी पहल है, जो सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को त्वरित और प्रभावी सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की एक टीम तैयार कर रहा है। सीआईआई यंग इंडियंस और ईएमआरआई के इस संयुक्त प्रयास से न केवल पुलिसकर्मियों की आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता मजबूत होगी, बल्कि दुर्घटना पीड़ितों को जीवन रक्षक सहायता भी मिल सकेगी।

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