हेमंत सरकार का बजट जन आकांक्षाओं पर खरा नहीं: अमर बाउरी

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:चंदनकियारी में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने हेमंत सोरेन सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट को निराशाजनक करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह बजट महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों, दिव्यांगों और मजदूरों के हितों की अनदेखी करता है। सरकार ने इसे “अबुआ बजट” का नाम दिया है, लेकिन हकीकत में यह जनता के लिए “निष्कृष्ट बजट” साबित हो रहा है।
अपने आवासीय कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बाउरी ने कहा कि सरकार ने 1.45 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया है, लेकिन अपने आंतरिक संसाधनों से मात्र 42% राजस्व जुटाने की स्थिति में है। चुनावी वादों में 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा करने वाली सरकार अब मीटर रीडिंग और बिजली बिल थमाने में व्यस्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने 13% बजट कर्ज के रूप में दिखाया, जबकि शेष बजट केंद्र सरकार के खाते में डाल दिया गया है।
मईंया योजना में कटौती का आरोप
बाउरी ने कहा कि सरकार मईंया योजना के तहत राज्य की 60 लाख महिलाओं को लाभ देने का दावा कर सत्ता में लौटी, लेकिन इस योजना के लिए आवश्यक 18,000 करोड़ रुपये की जगह केवल 13,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार लाभार्थियों की संख्या 35-40 लाख तक सीमित करने की योजना बना रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि 18 से 60 वर्ष तक की सभी महिलाओं को इस योजना का लाभ दिया जाए।
पर्यटन बजट में कमी पर सवाल
पर्यटन को बढ़ावा देने की बात करने वाली सरकार ने इस क्षेत्र के बजट में भी कटौती कर दी है। 2023-24 में पर्यटन के लिए 349.20 करोड़ रुपये का प्रावधान था, जबकि 2025-26 में इसे घटाकर 336.64 करोड़ रुपये कर दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य में विधि-व्यवस्था बिगड़ने से पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
पेंशन योजना और किसान हितों पर संदेह
उन्होंने कहा कि सरकार के बजट में पेंशन योजनाओं को लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं है, जिससे बुजुर्गों, दिव्यांगों और विधवाओं को मिलने वाली पेंशन पर अनिश्चितता बनी हुई है। किसानों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने 2,400 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने का वादा किया था, लेकिन अब तक इस पर कोई श्वेत पत्र जारी नहीं किया गया है।
रोजगार और महंगाई को लेकर सरकार पर हमला
बाउरी ने कहा कि राज्य के मजदूर बेरोजगारी के कारण पलायन को मजबूर हैं। उत्तराखंड में फंसे झारखंड के मजदूरों की स्थिति पर भी सरकार मौन है। इसके अलावा, सरकार ने चुनावी भाषणों में 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने का वादा किया था, लेकिन अब जनता को कोई राहत नहीं दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि 1.45 लाख करोड़ रुपये के इस बजट में युवाओं, किसानों, मजदूरों और महिलाओं के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। यह बजट पूरी तरह से जनता को धोखा देने वाला और निराशाजनक है।