उरांव समाज समूह की रक्तदान तत्परता से नवजात शिशु की जान बची: एकजुटता की मिसाल*

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: चाईबासा में उरांव समाज रक्तदान समूह ने एक बार फिर से समाज में एकता और मानवीयता की मिसाल पेश की है। जब झारखंड राज्य की राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल में इलाजरत एक नवजात शिशु को ग्रुप 0 नेगेटिव रक्त की अत्यधिक आवश्यकता पड़ी, तो परिवार वाले ब्लड की तलाश में परेशान हो गए थे। ब्लड की कमी के कारण वे संकट में थे, लेकिन मदद का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। इस बीच, उरांव समाज रक्तदान समूह के प्रमुख सदस्य और ‘ब्लडमैन’ के नाम से मशहूर लालू कुजूर को जैसे ही यह जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत कदम उठाया।
लालू कुजूर ने समूह के सक्रिय रक्तदाता गुडडू ठाकुर से संपर्क किया, जिन्होंने अपनी व्यस्त दिनचर्या को नजरअंदाज करते हुए रक्तदान के लिए तुरंत रांची की ओर रुख किया। गुडडू ठाकुर ने चाईबासा से रिम्स रांची पहुंचकर नवजात शिशु को आवश्यक रक्तदान प्रदान किया। उनकी त्वरित और निःस्वार्थ मदद से नवजात की जान बचाई जा सकी।
यह घटना इस बात का प्रतीक है कि जब समाज एकजुट होता है, तो किसी भी संकट का समाधान संभव हो सकता है। गुडडू ठाकुर की त्वरित प्रतिक्रिया और उरांव समाज रक्तदान समूह के सभी सदस्यों की सहयोगात्मक भावना ने एक जीवन को बचाने में सफलता प्राप्त की। यह उदाहरण न केवल समाज में रक्तदान के महत्व को उजागर करता है, बल्कि हमें अपने कर्तव्यों को समझने की प्रेरणा भी देता है।
इस तरह के प्रयास से न केवल व्यक्तिगत जीवन में बदलाव आता है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव भी उत्पन्न होता है। रक्तदान की महत्वता को समझते हुए, अधिक से अधिक लोग इस अभियान में शामिल हो सकते हैं और मानवता की सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं। यह घटना यह भी साबित करती है कि जब हम सभी मिलकर काम करते हैं, तो हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।