राष्ट्रीय मागे महोत्सव: आदिवासी संस्कृति का भव्य उत्सव गोपाल मैदान में प्रारंभ

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड।जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में शुक्रवार से जोहार ट्रस्ट और आदिवासी हो समाज महासभा पूर्वी सिंहभूम द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय मागे महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर देशभर के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी समुदाय के लोगों ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।
रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजे कलाकारों ने मांदर और नगाड़ों की थाप पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए। यह आयोजन न केवल मनोरंजन तक सीमित था, बल्कि इसके माध्यम से प्रकृति के प्रति प्रेम, आपसी एकता और संस्कृति की अखंडता का संदेश भी दिया गया।
इस महोत्सव का उद्घाटन मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन आदिवासी संस्कृति को नई पहचान देने के साथ-साथ समाज को जोड़ने का कार्य भी करते हैं। उद्घाटन से पूर्व आदिवासी हो समुदाय की प्रचलित रीति-रिवाजों के अनुसार पारंपरिक पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर विभिन्न प्रदेशों से महासभा के पदाधिकारी और प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
अखड़ा मागे सुसुन व मेगा आर्ट फेस्ट: प्रतिभाओं का मंच
शनिवार को अखड़ा मागे सुसुन पारंपरिक नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर की सर्वश्रेष्ठ नृत्य मंडलियां अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगी। इस प्रतियोगिता के विजेता को 81 हजार रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, मेगा आर्ट फेस्ट में स्कूल और कॉलेजों के 2000 से अधिक छात्र-छात्राएं अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इस प्रतियोगिता में विजेताओं को एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
संस्कृति, एकता और गौरव का संगम
यह महोत्सव केवल नृत्य और संगीत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य हो समुदाय की सांस्कृतिक विरासत एवं पहचान को संरक्षित करना है। इसके माध्यम से हो संस्कृति, परंपरा, दर्शन, कला, भाषा, लिपि, साहित्य, गीत एवं संगीत के प्रति लोगों में सांस्कृतिक गौरव, चेतना एवं गरिमा की भावना जागृत की जा रही है।
मागे महोत्सव का दूसरा प्रमुख उद्देश्य विभिन्न आदिवासी समुदायों के बीच सामाजिक एकता और मैत्री को बढ़ावा देना है। इस बार के महोत्सव में बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र समेत 11 राज्यों के प्रतिनिधि और नृत्य दल भाग ले रहे हैं।
सम्मान और पुरस्कारों की प्रस्तुति
तीन दिवसीय इस सांस्कृतिक महोत्सव के दौरान कुल 2,11,000 रुपये की पुरस्कार राशि रखी गई है। प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इसके साथ ही, समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य और योगदान देने वाले विशिष्ट व्यक्तियों को जोहार संस्था की ओर से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय मागे महोत्सव 9 मार्च तक चलेगा और इस दौरान विभिन्न पारंपरिक गीत, संगीत, नृत्य, खेलकूद और रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी। महोत्सव में शामिल हजारों लोग मागे नृत्य की मधुर धुनों पर झूमने को मजबूर हो गए, जिससे पूरा वातावरण सांस्कृतिक उत्साह और आदिवासी गौरव से भर गया।