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जाने राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस के संबंध में

न्यूज़ लहर संवाददाता
झंडा अंगीकरण दिवस हर वर्ष 22 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन अर्थात 22 जुलाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को भारत के संविधान द्वारा अपनाया ‘अंगीृकृत’ गया था। ‘तिरंगा’ भारत का राष्ट्रीय ध्वज है, जो तीन रंगों से बना है इसलिए हम इसे तिरंगा कहते हैं। तिरंगे में सबसे ऊपर गहरा केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे गहरा हरा रंग बराबर अनुपात में है। ध्वज को साधारण भाषा में ‘झंडा’ भी कहा जाता है। झंडे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात 2ः3 है। सफेद पट्टी के केंद्र में गहरा नीले रंग का चक्र है, जिसका प्रारूप अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थापित सिंह के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले चक्र की भांति है। चक्र की परिधि लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है। चक्र में 24 तीलियां हैं।*

हमारे राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास भी बहुत रोचक है। 20वी सदी में जब हमारा देश ब्रिटिश सरकार की ग़ुलामी से मुक्ति पाने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब स्वतंत्रता सेनानियों को एक ध्वज की ज़रूरत महसूस हुई क्योंकि ध्वज स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का प्रतीक रहा है।*

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा।

दिन का उत्सव

भारत में राष्ट्रीय ध्वज विवाद का दिन राष्ट्रीय ध्वज के साथ स्थान पर मनाया जाता है। झंडे के सम्मान कार्यक्रम में आयोजित किये गये हैं और लोग इसके विकास, अंगीकरण और महत्व पर चर्चा करते हैं।

वरिष्ठ राजनेता और राजनेता अपने विदेश में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और राष्ट्रगान फहराते हैं। इस दौरान विभिन्न जातीय समूहों के साथ स्थानीय स्तर पर चर्चा और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गये।

राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस का महत्व

राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) भारतीय नागरिकों का गौरव है। यह राष्ट्र की संप्रभुता, स्वतंत्रता और राष्ट्र की अखंडता का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही साथ यह भी सिद्धांत है कि भारत के लोग अपनी समानताओं के साथ, सामंजस्यपूर्ण और एकजुटता के साथ रहते हैं। इस दिन राष्ट्र में गौरव और राष्ट्रीय एकता की भावना को पुनः स्थापित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है, इस तथ्य को देखते हुए कि भारत विभिन्न धर्मों, संरचनाओं और परंपराओं का देश माना जाता है।
सौजन्य: इंटरनेट

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