जमशेदपुर: टाटा स्टील की ‘फ्लेम्स ऑफ चेंज’ पहल से बनी भारत की पहली महिला फायरफाइटर्स टीम

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड।जमशेदपुर में फायरफाइटिंग को हमेशा से पुरुष प्रधान पेशा माना जाता रहा है, लेकिन अब यह धारणा बदल रही है। टाटा स्टील की ऐतिहासिक पहल ‘फ्लेम्स ऑफ चेंज’ के तहत 23 साहसी महिलाओं ने इस चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में न केवल अपनी जगह बनाई, बल्कि यह भी साबित किया कि जज़्बा, हौसला और कुशलता किसी एक लिंग तक सीमित नहीं होते।
भारत की पहली पूरी महिला फायरफाइटर्स टीम
टाटा स्टील ने 7 सितंबर 2023 को अपने फायर सर्विसेज विभाग में 23 महिला फायरफाइटर्स को शामिल किया, जिससे भारत के इस्पात उद्योग में पहली बार एक पूर्ण महिला अग्निशमन दल का गठन हुआ। यह पहल कंपनी के विविधता, समानता और समावेशन (DEI) लक्ष्यों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कठिन प्रशिक्षण और लैंगिक समानता की दिशा में प्रयास
इन महिला प्रशिक्षुओं को फायर एंड सिक्योरिटी ट्रेनिंग सेंटर में गहन प्रशिक्षण दिया गया, जहां सैद्धांतिक शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव पर भी जोर दिया गया। आधुनिक अग्निशमन तकनीकों में दक्षता हासिल करने के लिए इन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया।
इस बदलाव को सहज बनाने के लिए पुरुष अग्निशामकों के बीच भी एक संवेदनशीलता अभियान चलाया गया। साथ ही, इस नई भूमिका को लेकर कुछ महिला प्रशिक्षुओं की झिझक को दूर करने के लिए भारत की पहली महिला फायरफाइटर, हरशिनी कान्हेकर (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन) को आमंत्रित किया गया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को प्रेरित कर उनकी शंकाओं का समाधान किया।
विविध सामाजिक और पेशेवर पृष्ठभूमि से आईं महिला फायरफाइटर्स
इस दल में शामिल महिला प्रशिक्षु विभिन्न सामाजिक और पेशेवर पृष्ठभूमि से आती हैं। देबाश्री चटर्जी, जो पहले एक गृहिणी थीं और एक सात वर्षीय बेटी की मां हैं, अब एक प्रशिक्षित फायरफाइटर हैं। प्रतिमा दुबे और राजश्री हांसदा पहले टाटा स्टील के कोक प्लांट में एक वर्ष तक सीपी मशीनों का संचालन कर चुकी हैं।
टाटा स्टील संयंत्र और अस्पतालों में तैनाती
टाटा स्टील ने इन 23 महिला फायरफाइटर्स को वेस्ट प्लांट फायर स्टेशन और टाटा मेन हॉस्पिटल में तैनात किया है। वे संयंत्र और उसके निवासियों की किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
रूढ़ियों को तोड़ती महिलाओं की निडरता
ये महिला अग्निशामक न केवल अपने कार्यस्थल पर प्रभावशाली भूमिका निभा रही हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा बन रही हैं। उनकी निडरता और रूढ़िवादिता को तोड़ने का जज़्बा समाज में बदलाव की लौ को और अधिक प्रखर कर रहा है।
टाटा स्टील की यह पहल दर्शाती है कि अब समय आ गया है कि हर क्षेत्र में लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जाए और महिलाओं को उनकी क्षमताओं के अनुसार अवसर प्रदान किए जाएं।