चाईबासा महिला कॉलेज में ‘मांगे झुमुर’ पर्व का आयोजन, प्रकृति संरक्षण और सांस्कृतिक एकता का संदेश*

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: महिला कॉलेज चाईबासा के प्रांगण में आज पारंपरिक रूप से ‘मांगे झुमुर’ पर्व का आयोजन हो विभाग के चंद्र मोहन हेंब्रम द्वारा बड़े धूमधाम से किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत दिवरी के रूप में की गई, जिसमें कॉलेज के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने साल के पौधों को लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया।
इसके साथ ही, जोहर प्रार्थना का आयोजन भी किया गया, जिससे कार्यक्रम की शुरुआत धार्मिक और सांस्कृतिक भावना से हुई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पीजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर बसंत चाकी उपस्थित थे, जिन्होंने अपने संबोधन में मांगे झुमुर के महत्व और संस्कृति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व आपसी प्रेम और एकता को बढ़ावा देने का एक शानदार अवसर है। इस पर्व के दौरान लोग अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों को निभाते हुए आपसी भेदभाव को दूर कर एकजुट होते हैं।
महिला कॉलेज की प्राचार्य डॉ. प्रीति बाला सिन्हा ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मांगे झुमुर का आयोजन केवल एक पारंपरिक पर्व नहीं, बल्कि यह समाज में भाईचारे और सौहार्द्र का एक प्रतीक है। उन्होंने बताया कि इस पर्व के माध्यम से हम प्रकृति के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकते हैं और एक साथ मिलकर समाज की सशक्तीकरण की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि मांगे झुमुर का पर्व प्राचीन साहित्य और संस्कृति का प्रतीक है, जिसमें सभ्यता और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इस अवसर पर छात्राओं ने पारंपरिक गीतों और नृत्य के माध्यम से इस पर्व को मनाया, जिससे माहौल में एक नयापन और उल्लास का संचार हुआ।
मांगे झुमुर के आयोजन में सजीव सांस्कृतिक प्रदर्शन के साथ-साथ सामूहिक भागीदारी ने इस पर्व को और भी जीवंत बना दिया। कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेज के छात्र छात्राओं, प्रो. संगीता लकड़ा, प्रो अंजू बाला, प्रो बबीता , प्रोफेसर प्रीति , प्रो ओनीमा, डॉ. राजीव लोचन, प्रोफेसर नम्रता और प्रशासन के कर्मचारियों ने मिलकर पर्व की धूमधाम से भाग लिया, और हर किसी ने इस अवसर पर सांस्कृतिक विविधता और समाजिक एकता को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।