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जमशेदपुर में आनंद मार्ग का अखंड कीर्तन, अवसाद मुक्ति के लिए अष्टांग योग पर जोर

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:जमशेदपुर में आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से एक प्रहर का “बाबा नाम केवलम्” अखंड कीर्तन आयोजित किया गया। इस दौरान 200 नारायण (जरूरतमंद लोगों) को भोजन कराया गया और 100 पौधे वितरित किए गए। इस आयोजन में मुख्य रूप से आध्यात्मिक upliftment और समाज में बढ़ती अवसाद (डिप्रेशन) की समस्या पर चर्चा की गई।

आचार्य विमलानंद अवधूत ने कहा कि लोग ज्यादा से ज्यादा “बाबा नाम केवलम्” कीर्तन करें, क्योंकि यह अनन्य भाव से किया गया कीर्तन है, जो मन को जड़ वस्तुओं से ऊपर उठाने में सहायक होता है। उन्होंने बताया कि कीर्तन करने से भौतिक आकर्षण कम होता है और मानसिक शांति मिलती है।

आचार्य बृजगोपालानंद अवधूत ने इस मौके पर कहा कि अत्यधिक भौतिक आसक्ति अवसाद का मुख्य कारण बन रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में 34 करोड़ से अधिक लोग अवसाद से ग्रस्त हैं, जबकि भारत में यह संख्या लगभग 6 करोड़ के करीब है। उन्होंने चिंता जताई कि “मनुष्य का जीने का ढंग बदल गया है, व्यक्ति आत्मसुख तत्व से ग्रस्त होकर स्वार्थी हो गया है, जिससे समाज में आर्थिक विषमता और मानसिक तनाव बढ़ रहा है।”

उन्होंने अवसाद के पांच प्रमुख कारणों पर चर्चा करते हुए पतंजलि योगसूत्र (अध्याय 2.3) का हवाला दिया, जिसमें बताया गया है कि मनुष्य अविद्या (अज्ञानता), अस्मिता (अहंकार), राग (आसक्ति), द्वेष (विरक्ति) और अभिनिवेश (मृत्यु का भय) से ग्रस्त होता है।

पुरोधा प्रमुख जी ने सुझाव दिया कि डिप्रेशन से मुक्ति के लिए अष्टांग योग का अभ्यास आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अष्टांग योग के नियमित अभ्यास से शरीर की अंतः स्रावी ग्रंथियां (हार्मोन स्राव करने वाली ग्रंथियां) संतुलित होती हैं, जिससे विवेक जागृत होता है और जीवन आनंदमय बनता है।

आयोजन के दौरान मौजूद लोगों ने कीर्तन के महत्व को समझा और अष्टांग योग को अपनाने का संकल्प लिया। साथ ही, पौधा वितरण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया।

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