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07 मई को निषाद समाज की पारंपरिक मां शीतला एवं ग्राम देव बाबा की वार्षिक पूजा, श्रद्धा व आस्था का होगा भव्य संगम* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

 

झारखंड:चाईबासा में निषाद समाज की आस्था का केंद्र और वर्षों पुरानी परंपरा को संजोए हुए मां शीतला एवं ग्राम देव बाबा की वार्षिक देवी पूजा इस वर्ष भी 07 मई 2025, दिन बुधवार को चाईबासा में अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और धूमधाम के साथ संपन्न होगी। इससे पूर्व 04 मई, दिन रविवार को परंपरागत रूप से भीख मंगाई की रस्म पूरी विधिविधान से अदा की जाएगी, जो इस आयोजन का अभिन्न और विशेष हिस्सा है।

यह देवी पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सामाजिक एकता, परंपरा और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। चाईबासा स्थित बड़ा नीमडीह गांव का मां शीतला मंदिर मंडप निषाद समाज के लिए न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह स्थान क्षेत्र के सभी जाति-समुदायों के लोगों को जोड़ने का एक प्रमुख माध्यम भी बन गया है। माना जाता है कि मां शीतला की पूजा से गर्मी की भीषण तपिश से राहत, रोगों से बचाव और परिवार में सुख-शांति प्राप्त होती है।

यहां की वार्षिक पूजा कई दशकों से निषाद समाज के द्वारा सामूहिक रूप से की जाती आ रही है। समाज के लोगों की मान्यता है कि मां शीतला व ग्राम देव बाबा की कृपा से सभी दुखों का निवारण होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूजा की रात मंदिर परिसर में विशेष भजन-कीर्तन, मां की आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी प्रस्तावित है, जिससे माहौल भक्तिमय हो जाएगा।

 

पूजा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए चाय, शरबत, ठंडा पानी, तरबूज, आइसक्रीम, चॉकलेट और विशेष प्रसाद का वितरण किया जाएगा, जिससे यह आयोजन एक भक्तिमय उत्सव का रूप लेगा।

 

इस पूजन कार्यक्रम को सफल और भव्य बनाने हेतु 10 अप्रैल 2025 को बड़ा नीमडीह स्थित मां शीतला मंदिर परिसर में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में निषाद समाज के प्रमुख सदस्यों ने भाग लिया और पूजा की तैयारियों पर विस्तृत चर्चा की।

बैठक में प्रमुख रूप से उपस्थित थे:

राजू निषाद, जगदीश निषाद, हेमराज निषाद, निर्मल निषाद, छोटे निषाद, नंदकिशोर निषाद, बसंती देवी, मृदुला निषाद, गणेश निषाद, विनोद निषाद, अभिषेक निषाद, भोला निषाद, राजेश चौधरी, बबलू निषाद, विकास निषाद, राजू राम निषाद, रमेश राम निषाद, उमेश कुमार निषाद, मनोज निषाद, सूरज निषाद, शंभू निषाद, छोटू निषाद सहित कई अन्य समाजसेवी सदस्य।

 

समाज के बुजुर्गों और युवाओं ने एकजुट होकर इस सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा को भावपूर्ण और संगठित ढंग से संपन्न कराने का संकल्प लिया। सभी ने समाज के लोगों से अपील की कि वे बढ़-चढ़कर इस पूजा में भाग लें और मां शीतला की कृपा प्राप्त करें।

 

यह पूजा न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, सामूहिकता और सामाजिक एकता का भी परिचायक है।

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